
हल्दी जिसे हम टरमेरिक एंव वनस्पति भाषा मे कुरकिमा डोमेस्टिका कहा जाता है। हल्दी हमारे देश मे बहुतायत से पैदा होती है । महाराष्ट् में इसकी खेती प्रमुख व्यवसाय के रूप में हो रही है। आज हल्दी का महत्व इस बात से सिद्ध होता है कि हल्दी के भाव आसमान छू रहे है। हल्दी मूलतः अदरक परिवार का सदस्य है।इसका कन्द जमीन मे उगता है जो कई शाखाओ में विभक्त होता है इस कन्द का पौधा सूख जाने के बाद आलू की तरह जमीन से निकाल लेते है।बाजार में उपलब्ध हल्दी को विशेष प्रकिया द्धारा तैयार किया जाताहै जमीन से निकाले गये कन्द को 12-14 घंटो तक पानी में उबाला जाता है।इस दौरान हल्दी में पाये जाने वाले स्टार्च जिलेटिन में बदल जाते है तथा हल्दी का रंग पक्का पीला होजाता है और यही हल्दी मसाले के रूप मे प्रयोग में लाई जाती हेै।
हल्दी में कई तरह के रसायन पाये जाते है,इसमें वाष्पशील तेल प्रमुख है।इन वाष्प तेलों में पिलेन्ड्ेन वीनेन,बोरनियोल,सिनियोल होते है,जिससे हल्दी का स्वाद तीखा हो जाता हैै। हल्दी का पीला रंग कुरकुमिन नामक तत्व से होता है।
साबुत कच्ची हल्दी का प्रयोग गठिया रोगो हेतु होता है।
इसकी चटनी व अचार चाव से खाये जाते है,सब्जी भी बनाई जाती है आजकल इसका महत्व केवल रसोई घर की शोभा बढाने तक ही सीमित नही है वरन् स्वास्थ्य,सौदर्य और दवाई बनाने में भी उपयोगी साबित हुआ है । स्वास्थ्य, की दृष्टि से हमारे ऋषि-मुनियों ने आयुर्वेद में इसके उपयोग की विस्तृत विवेचना की है। सर्दी-खॉसी हो जानें पर दादी मॉ के नुस्खे के रूप में हल्दी की फॉकी लेने की सलाह मिलती है।फोडे -फुन्सियों से छुटकारा पाने के लिये भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है तथा पुल्टिस के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। यही नहीं वरन् हल्दी का उपयोग शरीर के सूजन कम करने में एलोपेथि दवाओं को पीछे छोड गई है।हल्दी लीवर की बीमारियों के लिय भी उपयोगी सिद्ध हुई है यह कफ व पित से भी राहत दिलाती हैै। यही नही अपितु हल्दी खून को भी साफ रखती है तथा शरीर में एन्अीबायोटिक का कार्य करती है। आज कल हल्दी कई अनुसंधान हो रहे है। हल्दी में पाया जाने वाला कुरकुमीन का उपयोग मुंख कैसर और कैसर रसौली को गलाने में किया जाता है।

सौंदर्य की दृष्टि से हल्दी का उबटन सर्वविदित है आजकल हल्दी से बने कई कास्मेटिक क्रीमो का प्रयोग ब्यूटी पार्लरो मे आम होगया है। आजकल हल्दी ड्ाई ; रंजकद्ध के रूप में भी काम लायी जाती है। विशेषकर बीज,मिठाईयो ,उनी और रेंशमी और बोरिक एसिड की जॉच हेतु हल्दी के टरमोटिक पेपर बनाये जाते है।
हल्दी की बडी मांग और उॅचे दामों के कारण मिलावट से बच नहीं पायी है। पीसी हुई हल्दी में आजकल मिलावट के रूप मे गेरू और पिली मिट्टी मिलाई जाती है। अतः स्वास्थ्य व सौदर्य की दृष्ब्टि से मिलावट की जॉच आवश्यक है। घरेलू उपाय के रूप मे पाउडर को पानी मे घोलने पर मिट्टी नीचे जमा हो जायेगी और हल्दी उपर तैरती रहेगी ।प्रयोगशाला मे शुद्ध हल्दी की जॉच करने गॅधक का तेजाब डाला जाता है,शुद्ध हल्दी का रंग लाल होजाता हैं

नोटः-यह आर्टिकल श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत द्धारा लिखित है,जो गुजराती बोल पत्रिका के दीपोत्सव अंक 2002 में छप चुका है।
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