हिन्दुओं में विवाह को एक संस्कार माना है जो अपने में कई संस्कारों को छुपाये हुये है यह जन्मजन्मातर का बंधन है
विवाह से पहले प्यार प्रथम होता है,लेकिन विवाह के बाद प्राथमिकताए बदल जाती है पति पत्नि मन प्राण से दूध मे पानी की तरह घुल जाते है धीरे-धीरे इन संबधो में परिपक्वता आ जाती है लेकिन पति पत्नि नौकरी पैशा है, बच्चे छोटे है या अन्य कोई मानसिक या शारिरीक उलझने है तो वह उसमे उतना व्यस्त होजाते है कि उन्हेें अपने वैवाहिक संबधोे के लिए समय ही नही मिल पाता है धीरे -धीरे इनके संबधो मेेें अल्पविराम लगने लगता है एक दिन यह अल्पविराम, विराम का अर्थात तलाक का रूप धारण कर लेता है,इसलिए इन संबधो को संवारने के लिए निरंतर खाद पानी की जरूरत रहती है।नही तो वैवाहिक बंधन की पवित्र उॅचाई से तलाक की गहरी खाई मे गिरने में जरा भी समय नही लगेगा।
दरार पैदाकर सकता जिससे तलाक जैसी स्थिति आसकती
है।
ऽ पति का पत्नि के प्रति निर्मम,कठोर,हिंसापूर्ण व्यवहार व शोषण भी तलाक का कारण हो सकता हैं
ऽ दांम्पत्य के रिश्ते मे ंप्यार सम्मान गरिमा व भरोसे की मजबूत दीवार जब गिर जाती हैतो तलाक की नौबत आजाती है।
ऽ संवादहीनता भी दांपत्य जीवन को ंनीरस बना कर अलगाव की स्थिति उत्पन्न कर देती है।
ऽ तृप्त यौन सुखी दांपत्य की कुंजी है, इसे नजरअंदाज करने से दांपत्य जीवन मे तलाक की स्थिति बन सकती है।
ऽ एक दूसरे के अहम आपस मे टकराते हैऔर कोई भी समझौता करने के लिए तैयार नही होता तब तलाक की स्थिति बनती है।
ऽ दांम्पत्य के रिश्ते मे ंप्यार सम्मान गरिमा व भरोसे की मजबूत दीवार जब गिर जाती हैतो तलाक की नौबत आजाती है।
ऽ संवादहीनता भी दांपत्य जीवन को ंनीरस बना कर अलगाव की स्थिति उत्पन्न कर देती है।
ऽ तृप्त यौन सुखी दांपत्य की कुंजी है, इसे नजरअंदाज करने से दांपत्य जीवन मे तलाक की स्थिति बन सकती है।
ऽ एक दूसरे के अहम आपस मे टकराते हैऔर कोई भी समझौता करने के लिए तैयार नही होता तब तलाक की स्थिति बनती है।
आधुनिक समाज में तलाक तेजी से बढ रहे है, बढते तलाक के लिए कई कारण जिम्मेदार हैःजिसमे बेवफाई,किसी एक का छोड कर चले जाना ,किसी एक का लाइलाज रोग से पीडित होना पुरूषत्वहीनता ,सांस्कृतिेक जीवन शैली में मतभेद व संस्कारहीनता,आपसी समझ का अभाव,प्रतिस्पृ़द्धी प्रवृति,मानसिक अस्थिरता आदि कुछ मुख्य है
दांपत्य का रिश्ता सृष्टि का संुदरतम् रिश्ता है,छोट-मोटी समस्या तो हर वैवाहिक जीवन में आती है इन समस्याओंसे निकलना ही जिंदगी है, हमेशा इस रिश्ते में प्यार व विश्वास की मजबूत दीवार को कायम रखे ।
यह आर्टिकल जगमग दीप ज्योति नामक पत्रिका की परिचर्चा ब ढते तलाक की समस्या में जनवरी 2011 में छप चुका है