ओम् षब्द सम्पूर्ण ब्राहाण्ड का प्रतीक है,यह मात्र षब्द नहीं है वरन् इसमें सम्पूर्ण ब्राहाण्ड की आलौकिक षक्ति ें छिपी है।इसका संबध किसी जाति धर्म से नहीं है यह अक्षर 3 ध्वनियों अ,उ और अनुस्वार म से बना है इसे लघुतम् मंत्र भी माना जाता है यह ध्वनि स्ंवय में अस्तित्व पूर्ण बहुत्व को मिलाती है व व्यक्ति सता को परम् सता से मिलाती है ।ओम् के उच्चारण से ष्वसन क्रिया व ष्षरीर संचालन में समन्वय आता है।इससे तन व मन के विकार दूर होते है।़ इसकें नियमित उच्चारण से तनाव व डिप्ररेषन से छुटकारा मिलता है मन व मस्तिष्क एकदम ष्षांत होे जाता है। इससे मानव के आभामंडल में वृद्धि होती है।इससे एकाग्रता बढती है।
विधि व समयः-ओम् का जाप आॅखे बंदकर के किसी भी एंकात स्थान पर बैठकर सुबह और सांय किसी भी समय आसन पर बैठकर कर सकते है।3से5 सैकण्ड में साॅस को लय के साथ अंदर भरना है ,साॅस को जितना लंबा खींच सके ,खींचे और पवित्र ओम् का विधि पूर्वक उच्चारण तेज आवाज में करतें हुए 5से20 सेकेण्ड में साॅस को बाहर छोडना है।पुनः साॅस भरकर यह क्र्रिया 2से 3मिनट में 5से 7 बार करनी है।असाध्य रोगी व ध्यान की गहराईयो में उतरने के इच्छुक साधक 5से 10 मिनट तक यह प्राएाायाम कर सकते है ,इससे किसी भी प्रकार की हानी की संभावना नहीं है।ष्इसके बाद थोडी देर प्रणव ध्यान करें। ष्
भुवनेष्वरी मालोत
जिला संयोजिका
पंतजलि महिला योग समिति
बाॅसवाडा राज. ष्