सोमवार, 8 अगस्त 2011

टॉग खिचने की प्रवृति का त्याग करे

         

              
एक बार अर्न्तराष्ट्ीय केकडा सम्मेलन  हुआ ,उसमें कई देषों के चुनिंदा केकडे सम्मिलित हुए।सभी देष अपने -अपने देषो को बास्केट में बंद करके लाये ।इस  सम्मेलन में हिन्दुस्तान भी खतरनाक केकडो के साथ  सम्मिलित हुआ,लेकिन  हिन्दुस्तानी का बास्केट खुला था, जिससे केकडे चढकर बाहर निकलने की कोषिष कर रहे थे। एक देष के प्रतिनिधि ने कहा भाई साहब आप अपनी बास्केट बंद कर दे ,कही केकडे बाहर निकलकर काट न ले
हिन्दुस्तानी  प्रतिनिधि ने कहा भाई साहब  यह हिन्दुस्तान के केकडे है,इसमें जैसे ही एक उपर चढने का प्रयास करेगा,तो दूसरा टॉग खींचकर नीचे गिरा देगा।अतः आप निष्चित रहे।इससे यही षिक्षा मिलती है अगर आपके परिवार, समाज व आपका कोई साथी  आगे बढता है,तो उसकी टॉग खींचकर गिराने का प्रयास न करे।अगर आप आगे बढने वालो को प्रोत्साहित न कर सके तो कोई बात नहीं लेकिन उसे हतोत्साहित न करे ।आज व्यक्ति किसी को आगे बढता हुआ देखता है,तो खुषी की जगह ईष्या  होती है।भाई-भाई पडौसी -पडौसी ,मित्र-मित्र को आगे बढता हुआ नही देख सकता है।इसलिए वह व्यक्ति की आलोचना करता है।उसके बारे मे अफवाह फैलाता है।इससे उसको आत्मसंतुष्टिी जरूर होती है,लेकिन इससे आगे बढने वालो को कोई  फर्क नहीं होता है।आगे बढने वाला अवष्य ही आगे बढेगा।अतः इस प्रवृति का त्याग करे।   

                                          






                                           श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत
                                     

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