बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

नवरात्री पर्व पर आओ हम संकल्प ले बेटी बचाने का

 🌹🙏🏻जय श्री कृष्णा🙏🏻🌹                                         

          


                           नवरात्री में नौ दिन मातृ शक्ति की पूजा की जाती है और देवी शक्ति के रूप में उसकी उपासना की जाती है। नारी जिसे करूणा की प्रतिमूर्ति मातृत्व की साकार प्रतिमा सृजन व धेर्य की देवी माना जाता है, वहाँ इसी नारी  शक्ति की भ्रूण में ही हत्या की जा रही है। दरिन्दगी का यह खेल सदियों से चला आ रहा है। पहले नवजात कन्या को नमक चटाकर या घर के पिछवाडे छोड़कर मौत के मुंह में सुला दिया जाता था। अब यह खेल कन्या भू्रण हत्या के रूप में जारी है। ऐसा करके हम पाप व अधर्म कर रहे है। कोई भी धर्म चाहे हिन्दु हो या मुस्लिम हो या सिख-इसाई हो कन्या की हत्या की इजाजत नहीं देता है। यदि हम कन्या भ्रूण हत्या करते रहे तो नवरात्री में पूजन के लिये कन्या कहाँ से लायेंगे, यह एक विचारणीय पहलू है।

 बेटे के जन्म पर खुशीयाँ मनाई जाती है क्योंकि बेटा ही बुढ़ापे का सहारा बनेगा। बेटा ही हमारे वंशको आगे बढ़ायेगा, लेकिन वे भूल जाते है कि अगर बेटिया ही नहीं होगी तो हमारा वंश आगे कैसे बढ़ेगा। हमारे मन में बेटी के जन्म लेते ही यह भाव गहरे बैठ जाता है कि बेटी तो पराई होती है उसको पढ़ाओं गृहस्थी के गुर सिखाओं, दहेज देकर सुसराल भेज दो ,इसलिए एक गरीब पिता के पैरो में दामाद ढूढ़ते ढूढ़ते छाले पड़ जाते है इसलिये उन्हे बेटी बोझ समान लगती है।

बेटा तो बाप का नाम रोशन करेगा, ऐसी कुठित मानसिकता ने कन्या भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध करने की मजबूर किया है। जबकि आज हम यह जानते हुए भी कि बेटे से अधिक सेवा बेटिया ही माता पिता की करती है और आज बेटिया स्वयं अपनी प्रतिभा व मेहनत के बल पर चारो दिशाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही है। फिर भी हम कन्या पैदा नहीं करना चाहते, हम झूठा आवरण ओढे़ हुए है भीतर कुछ, बाहर कुछ।

 यह भी एक विचारणीय पहलू है कि यदि हम कन्या भ्रूण की हत्या कर देगे तो इस समाज का, परिवार का, देश का रूप कैसा होगा ? जब इस पृथ्वी पर बेटिया ही नहीं रहेगी तो कहाँ से आयेगी आपके बेटे के लिये सुन्दर सुशील बहू। यदि आपके मन में बेटे की कामना है तो बहू की कामना भी होगी इसके लिये बेटियों को भ्रूण में ही बचाना होगा। उसको अच्छे संस्कार व शिक्षा देकर हमारे देश, समाज व परिवार के सुन्दर भविष्य की आधारशीला तैयार करनी होगी। ‘‘दूधो नहाओं, पूतो फलो’’ के आशीर्वाद को बदलना होगा यदि पूत ही पैदा होगे तो उसके लिये सुन्दर सुशील  बहू कहाँ से आयेगी ? कल्पना करे जिस समाज में पुरूष ही पुरूष होगे वह समाज कैसा होगा। धर्म, दया, प्रेम ममता सहयोग की भावनाऐं नारी के कारण समाज में जीवित है नारी नहीं तो कुछ नहीं ............

आओं हम सब बहने इस नवरात्री में कन्याओं का पूजन करके एक संकल्प ले कि हम कन्या भ्रूण हत्या या कन्या हत्या न करेंगे न ही करने देंगे, न ही इसमें भागीदार बनेगे। आपके द्वारा किया गया एक छोटा सा प्रयास आपके जीवन में नवीन ऊर्जा का संचार करेगा और आपके घर-परिवार की बगिया खुशियो के फूलों से महकती रहेगी।                                                                                      प्रेषक

                                                                           भुवनेश्वरी मालोत