गुरुवार, 4 अगस्त 2011

निस्वार्थ सेवा सच्ची सेवा है



     नेकी कर कुए में डाल




फंलेमिग नाम का एक किसान स्कांटलैड में अपने खेत में काम कर रहा था कि अचानक उसने सहायता के लिए पुकारती एक आवाज सुनी, उसने पास जाकर देखा तो एक छोटा बच्चा गहरे कीचड मे फॅसा हुआ है




 उसने बडी मेहनत करके,उसे निकाला और फिर अपने काम में जुट गया। दूसरे दिन उसने देखा एक अमीर आदमी उसकी झोंपडी में आया ओैर बोला तुमने मेरे बेटे की जान बचायी है मैं तुम्हें इनाम देना चाहता हुं । किसान ने इनाम लेने से इंनकार कर दिया और कहा यह तो मेरा कर्तव्य है। उसने किसान के पास खडे उसके फटेहाल बच्चे को देखा और कहा इसकी शिक्षा की जिम्मेदारी में उठाता हुं ,तुम उसे मुझे सौंप दो ।


कई वर्षो बाद वही बालक अलेग्जैन्डर फंलेमिंग प्रसिद्व वैज्ञानिक पैनिसिलीन का अविष्कारक बना। कुछ समय बाद उसका बेटा निमोनिया का शिकार हो गया,जिसकी जान पैनिसिलीन की  वजह से बची। उस आदमी का नाम लार्ड रैन्डोल्फ था और उसके बेटे का नाम सर विन्सटन चर्चिल।

 यह सही बात है जैसा तुम देते हो वैसा ही तुम्हें वापिस मिलता है चाहे थोडा वक्त जरूर लगता है पर प्रकति अपने पास कुछ नही रखती है व आपको खाली हाथ नही रहने देगी  आपकी अच्छाई वापिस लौटकर आपके पास जरूर आयेगी ।


 आओ दुआ करे और इसे हम जीवन का आर्दश बना ले कि नेकी किसी फल के लिए नही बल्कि आंतरिक खुशी के लिए करेगें और भूल जायेगे ।

                                 श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत

  
           मेरे द्धारा लिखित    यह आर्टिकल दैनिक भास्कर के मधुरिमा में 23 जून 2009 में एक दुआ अपने लिए     में छप चुका है।




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