ताली बजाईये और रोगो को दूर भगाईये ।यह एक पुरानी कहावत है। आज हम भौतिक सुख सुविधाओ के जाल मे ंइस तरह से फॅसे हुए हैकि हमारा शरीर अनेक प्रकार के रोगो से ग्रस्त होेता जा रहा है।यह सोचने वाली बात हैकि हम सही अंर्थो में स्वस्थ क्यों नहीं रह पा रहे है।क्या हमने शारीरिक श्रम त्याग दिया है?क्या इसके लिए हमारा आहार जिम्मेदार है?काफी हद तक इसके लिए कई कारक जिम्मेदार है जिसमे मुख्य है-अधिक आराम,श्रम का अभाव,बिना विचारे अधिक मात्रा मे अखाद्य पदार्थो का सेवन आदि।
हम ताली बजाकर भी स्वस्थ रह सकते है।प्राचीन काल मे मंदिरो में आरती व संत्सग में सामूहिक ताली बजाया करते थे।यह शरीर को स्वस्थ रखने का उत्कृषट साधन है।
ताली बजाने से एक अच्छा व्यायाम हो जाता है इससे हमारे शरीर की निष्षक्रियता समाप्त होकर क्रियाशीलता की वृद्धि होती है।रक्त संचार की रूकावट दूर होने से हृदय रोग की संभावना कम रहती है।फेफडों की बीमारी दूर होती हैं
शरीर मे चुस्ती फुर्ती तथा ताजगी आ जाती है।इससे हमारे शरीर की रोग -प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ जाती है,इससे हमारे हाथों के सभी एक्यूप्रेशर पाॅइट पर अच्छा दबाब पडता है।शरीर निरोग होने लगता है।
जाने माने स्वास्थ्य चिंतक सम्मानिय अरूण ऋषि के अनुसार 100 ताली बजाइये और स्वस्थ रहिये की अलख पूरे भारत में जगाये हुए है।उनको साधुवाद।
आइये ताली बजाइये और निरोग रहिये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें