शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

दर्पण

                                                                 

एक धनी नौजवान अपने गुरू के पास यह पूछने के लिए गया कि उसे जीवन में क्या करना चाहिये । गुरू उसे खिडकी के पास ले गए और उससे पूछा ’तुम्हें काॅच के परे क्या दिख रहा है़?’सडक पर लोग आ-जा रहे है ओर बेचारा अॅधा व्यक्ति भीख माॅग रहा है।,इसके बाद गुरू ने उसे एक बडा दर्पण दिखाया और पूछा ‘‘अब दर्पण में देखकर बताओ कि क्या देखते हो?इसमें मैं खुद को देख रहा हंू।‘ठीक है! दर्पण में तुम दूसरों को नहीं देख सकते ।तुम जानते हो कि खिडकी में लगा काॅच और यह दर्पण एक ही मूल पदार्थ से बने हैं।‘
तुम स्ंवय की तुलना काॅच के इन दोनों रूपों से करके देखो।जब ये साधरण है तो तुम्हें सब दिखते है और उन्हें देखकर तुम्हारे भीतर करूणा जागती है और जब इस काॅच पर चाॅदी का लेप हो जाता है तो तुम केवल स्वयं को  देखने लगते हो।‘

                                                         

                                   तुम्हारा जीवन भी तभी महत्वपूर्ण बनेगा जब तुम अपने आखो पर लगी चाॅदी की परत को उतार दो ।ऐसा करने के बाद ही तुम अपने लोगो को देख पाओगे और उनसे प्रेम कर  सकोगे

Bhuneshwari Malot
Banswara, Rajasthan, India

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