रविवार, 30 अगस्त 2020

नकारात्मकता छोड़ें, सकारात्मकता जोड़ें

 

एक बार अंतरराष्ट्रीय केकड़ा सम्मेलन हुआ|  उसमें कई देशों के चुनिंदा केकड़े  सम्मिलित हुए। सभी देश अपने केकड़े को बास्केट में बंद करके लाएं ।इस सम्मेलन में हिंदुस्तान भी अपने खतरनाक  केकड़ा के साथ सम्मिलित हुआ ,लेकिन हिंदुस्तानी का बास्केट खुला था, जिसमें केकड़े चढ़कर बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे ।एक पड़ोसी देश के प्रतिनिधि ने कहा भाई साहब आप अपनी बास्केट बंद कर दे कहीं केकड़े निकलकर काटना लेगे ।हिंदुस्तानी प्रतिनिधि ने कहा भाई साहब यह हिंदुस्तान के केकड़े हैं। जैसे ही एक ऊपर चढ़ने का प्रयास करेगा तो  दूसरा उसकी टांग खींच कर नीचे गिरा देगा । आप निश्चिंत रहें ।

इससे यही शिक्षा मिलती है की समाज व जीवन में कोई व्यक्ति आगे बढ़ता है तो उसकी टांग खींच कर गिराने का प्रयास ना करें| आगे बढ़ने वालों को प्रोत्साहित ना कर सके तो कोई बात नहीं लेकिन उसे हतोत्साहित भी ना करें ।आम  जीवन मे अगर कोई व्यक्ति आगे बढ़ता है तो खुशी की जगह ईर्ष्या  होती है|आज भाई -भाई पड़ोसी -पड़ोसी मित्र -मित्र को आगे बढ़ते हुए नहीं देख सकता ,इसीलिए वह व्यक्ति उसकी आलोचना करता है उसके बारे में जुटी अफवाह फैलाता है इससे उसको आत्म संतुष्टि  जरूर होती है लेकिन इससे आगे बढ़ने वालों को कोई  फर्क नहीं पड़ता| आगे बढ़ने वाला अवश्य ही आगे बढ़ेगा।

 अतः में टांग खींचने की प्रवति का त्याग करना चाहिए ।टांग खींचने वाला हमेशा नीचे ही गिरता है |||नीचे ही जाता है ऊपर कभी नहीं उठ सकता और अलग गति को प्राप्त होता है।इसलिये हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े 

                                                                                        भुवनेश्वरी मालोत

                                                                                        बाँसवाड़ा


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बुधवार, 26 अगस्त 2020

हमारे बुजुर्ग बोझ नहीं

अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्पति बुश की पत्नि बारबरा बुश ने कहा था कि ‘‘आपके जीवन के अंतिम वर्षो में किसी को इससे कोई मतलब नही है कि आपने कितनी नौकरियों में सफलता हासिल की,कितने काॅन्टृेक्ट पाए आदि।केवल एक ही बात की अहमियत होती है कि आपके आसपास आपके कितने परिजन हैं, वे आपके बारे में क्या सोचते है और आपको कितना प्यार करते''। अपने काम से काम रखे,बुढापे मे भी जीभ का स्वाद नही छुटता ,जल्दी बोलो जो भी बोलना है हमारे पास फालतु की बातों का वक्त नहीं है आदि जमले बुजुर्ग लोगोे को सुनने ही पडते है समय का चक्र निंरतर चलता रहेगा बचपन जवानी और बुढापा।बुढापे से हम सबको गुजरना यह हम क्यों भुल जाते|






मंगलवार, 25 अगस्त 2020

अन्न का सम्मान करे

                                                                                                                                      

               अकसर हमारे समाज में शादी हो या जन्म-दिन या अन्य कोई शुभ प्रंसग हो भोज का आयोजन किया जाता है, प्रायः देखने में आता है कि लोग खाते कम है, अन्न की बर्बादी ज्यादा करते हैे।आजकल कई तरह के व्यंजनो के स्टाॅल लगते है जिससे सब का मन ललचा उठता है,और सभी व्यंजनो का स्वाद लेने के चक्कर मे ढेर सारा भोजन प्लेट मेें ले लेते है और पेटभर जाने के कारण अनावश्यक रूप से लिया गया भोजन बच जाता है जिसे कूडे- दान में फेंक दिया जाता है या नाली में बहा दिया जाता है ,लेकिन हम चाहे तो अन्न की बर्बादी को काफी हद तक रोक सकते है,यदि इस भोजन का सद्उपयोग किया जाय तो न जाने कितने भूखे-गरीबोें का पेट भर सकता है। किसी संस्था की मदद से अनाथाश्रम या किसी बस्ती में पहुचाया जा सकता है या अप्रत्यक्ष रूप संे गौ-माता को इस भोजन में सम्मिलित कर अप्रत्यक्ष पुण्य का भागीदार आप बन सकते है गौ-शाला से सम्पर्क करके,फोन द्धारा सूचित करके या स्ंवय गायों तक भोजन पहुचाकर  पुण्य कमा सकते हैैै।    

              यदि व्यंजन पंसद न हो तो पहले से निकाल लेना चाहिये ,जूठा नहीं छोडना चाहिये। अन्न को देवता का दर्जा दिया गया है ,इसलिये अन्न को देवता का रूप समझकर ग्रहण करना चाहिये । मनुस्मृति में कहा गया है कि अन्न ब्रहृा है,रस विष्णु है और खाने वाला महेश्वर है। भोजन के समय प्रसन्नता पूर्वक भोजन की प्रशंसा करते हुये ,बिना झूठा छोडे हुये ग्रहण करना चाहिये । दूसरो के निवाले को हम नाली में बहा कर अन्न देवता का अपमान कर रहे है, जो रूचिकर लगे वही खाये ,पेट को कबाडखाना न बनाये । भोजन को समय पर ग्रहण करके भोजन का सम्मान करे ,मध्य रात्री को पशु भी नहीं खाता है । प्रत्येक स्टाॅल पर विरोधी स्वभाव के भोजन को स्वविवेक के अनुसार ग्रहण करना चाहिये ।।सब का स्वाद ले लू वाली प्रव्रृति का त्याग करे ।

           गाॅॅधी जी ने कहा है कि कम खाने -वाला ज्यादा जीता है,ज्यादा खाने वाला जल्दी मरता है।         


                                      श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत

रविवार, 23 अगस्त 2020

मन की शांति


मन की शांति 

आज मैं जीवन में जो पाना चाहती थी बैठे-बैठे उसकी लिस्ट बनाई इसमें अच्छा घर, स्वास्थ्य, सौंदर्य, समृद्धि, शक्ति, सुपथ, संबल, ऐश्वर्य, अच्छा पति, संस्कार वान बच्चे आदि कई चीजें थी। लेकिन फिर भी कही कुछ कमी रह गई हो ऐसा लगता।यह लिस्ट लेकर मैं अपने गुरु के पास गई मैंने पूछा क्या जीवन की सारी उपलब्धियां इस लिस्ट में है ।गुरु ने धीरे से मुस्कुरा  कहा बेटी वाकई अच्छी लिस्ट है लेकिन लिस्ट में एक चीज लिखना भूल गई हो जिसके  बिना बाकी सब चीजें व्यर्थ हो जाती है जिसका अनुभव उम्र के इस पड़ाव पर ही कर सकोगे। मैं  असमंजस्य में आ गई मैंने सोचा मैंने तो सारी चीजें जो एक नारी चाहती है लिस्ट में लिखिए तो फिर क्या छूट गया है गुरु ने लिस्ट को मुझ से लेकर सबसे अंत में 3 शब्द लिखें वह थे मन की शांति वास्तव में संसार की सभी चीजें इसके बिना व्यर्थ है ।जो अंतिम समय तक नहीं मिल पाती है।  

 

भुवनेश्वरी मालोत

शनिवार, 22 अगस्त 2020

अपने सपने


आज अमृता बहुत खुश थी ।जब अस्पताल में डाक्टर ने कहा कि तुम माॅ बनने वाली हो।वह सोच रही थी ,जब पति आॅफिस से आयेगेे तो यह समाचार सुनाउगी तो बहुत खुश होगे,लेकिन जैसे ही पति को यह समाचार सुनाया तो वह परेशान व दुःखी होगये और बोले ’’तुम माॅ बन गयी तो तुम्हें बच्चे के लिए नौकरी छोडनी पडेगी ,और नोैकरी छोडो गी तो ,अपने सपने कैसे पूरे होगे।बंगला, कार और अन्य सुविधाए का सपना तुम्हारी नौकरी के बिना केवल मेरी तनख्वाह से कैसे पूरा होगा।अभी तो हमारी उम्र ही क्या है ?बच्चे के बारे में कुछ साल बाद सोचेगे।पति के कहने पर अमृता ने गर्भपात करवा लिया और जो सपना था वह पूरा हो गया लेकिन एक बार गर्भपात करवाने के बाद अमृता कभी माॅ नहीं बन सकी।काश  मैं ..........

भुवनेश्वरी मालोत