गर्भवती महिला योेग में क्या कर सकती है जिससे स्वयं भी स्वस्थ रहे और बच्चा भी स्वस्थ पैदा हो?
एक महिला जब पहली बार गर्भवती होती है तो उसके मन में खुशी के साथ , कई तरह के भय और शकाये भी जन्म लेती है।एक महिला गर्भावस्था में भी योग कर सकती है। योग करने से अनचाहे ंतनाव से छुटकारा
पा सकती हैे
भस्त्रिका प्राणायाम बहुत धीमी गति से करना चाहिये। कपालभांति और बाह्ा प्राणायाम और अग्निसार वर्जित है।यदि थाॅयरायड है तो उज्जायी प्राणायाम करे,थाॅयरायाड का प्रेषर पाॅइट दबाए।अनुलोम-विलोम बहुत ही अच्छा प्राणायाम है।इससे बच्चे को पूर्णरूपेण आॅक्सीजन मिलेगी। आप तनाव से मुक्त रहेगे।
गर्भावस्थाकाल में यदि बुखार रहता है तो गिलोय धनवटी लेना चाहिये। ।गर्भावस्था में रक्तस्त्राव होने पर शीशम के पते का रस ले तुरत फायदा होेेगा।भ्रामरी, उद्गीत ,प्रणव ध्यान व गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए । सुक्ष्म व्यायाम व कुछ सरल आसन भी कर सकती है।इससे प्राकृतिक रूप से प्रसव हो जाता है,सिजेरियन की संभावना नहीं रहती है ।ध्यान से मन का डर व तनाव दुर होता है।शरीर लचीला रहता है जिससे नार्मन व सहज डिलीवरी होती है,आत्मविशवास बढता है व सकारात्मक विचार आते है जिस का बच्चे पर अच्छा असर पडता है न ज्यादा दवाईया लेनी पडती है,न ही कोई परेशानी होती है। इस तरह खुद भी स्वस्थ रहेगी व स्वस्थ बच्चे को जन्म देगी।
जिला-संयोजिका
महिला पंतजलि योग समिति
बाॅसवाडा ( राज)
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