शुक्रवार, 8 जून 2012

सकारात्मक विचारों की सृष्टि करे










चिलम का आकार लेेती हुई मिट्टी को मिटाकर जब कुम्हार ने नया आकार देना षुरू किया तो मिट्टी ने पूछा अब क्या करते हो, तब कुम्हार बोला मैं अब सुराही बना रहा हू तब मिट्टी बोली मेरे सृष्टा तुम्हारा तो विचार बदला है मेरा तो संसार ही बदल गया है ,चिलम का संसार है जलना और जलाना और सुराही का संसार है स्वंय षीतल रहना और दूसरो को भी षीतल करना ।वस्तुतः विचार के बदलने पर ही संसार बदलता है,एक सद्विचार का बीज जब अंकुरित होकर जीवन की धरती पर प्रकट होता हैतो चारांे ओर सुख-षांति के फूलों से मानव जीवन महक उठता है।इसलिए हमेषा सकारात्मक व सद्विचारों की सृष्टि करे ,क्योकिं इसका हमारे जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव पडता ।



श्रीमति भुवनेष्वरी मालोत

बाॅसवाडा राज.



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें