बुधवार, 26 अगस्त 2020

हमारे बुजुर्ग बोझ नहीं

अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्पति बुश की पत्नि बारबरा बुश ने कहा था कि ‘‘आपके जीवन के अंतिम वर्षो में किसी को इससे कोई मतलब नही है कि आपने कितनी नौकरियों में सफलता हासिल की,कितने काॅन्टृेक्ट पाए आदि।केवल एक ही बात की अहमियत होती है कि आपके आसपास आपके कितने परिजन हैं, वे आपके बारे में क्या सोचते है और आपको कितना प्यार करते''। अपने काम से काम रखे,बुढापे मे भी जीभ का स्वाद नही छुटता ,जल्दी बोलो जो भी बोलना है हमारे पास फालतु की बातों का वक्त नहीं है आदि जमले बुजुर्ग लोगोे को सुनने ही पडते है समय का चक्र निंरतर चलता रहेगा बचपन जवानी और बुढापा।बुढापे से हम सबको गुजरना यह हम क्यों भुल जाते|






मंगलवार, 25 अगस्त 2020

अन्न का सम्मान करे

                                                                                                                                      

               अकसर हमारे समाज में शादी हो या जन्म-दिन या अन्य कोई शुभ प्रंसग हो भोज का आयोजन किया जाता है, प्रायः देखने में आता है कि लोग खाते कम है, अन्न की बर्बादी ज्यादा करते हैे।आजकल कई तरह के व्यंजनो के स्टाॅल लगते है जिससे सब का मन ललचा उठता है,और सभी व्यंजनो का स्वाद लेने के चक्कर मे ढेर सारा भोजन प्लेट मेें ले लेते है और पेटभर जाने के कारण अनावश्यक रूप से लिया गया भोजन बच जाता है जिसे कूडे- दान में फेंक दिया जाता है या नाली में बहा दिया जाता है ,लेकिन हम चाहे तो अन्न की बर्बादी को काफी हद तक रोक सकते है,यदि इस भोजन का सद्उपयोग किया जाय तो न जाने कितने भूखे-गरीबोें का पेट भर सकता है। किसी संस्था की मदद से अनाथाश्रम या किसी बस्ती में पहुचाया जा सकता है या अप्रत्यक्ष रूप संे गौ-माता को इस भोजन में सम्मिलित कर अप्रत्यक्ष पुण्य का भागीदार आप बन सकते है गौ-शाला से सम्पर्क करके,फोन द्धारा सूचित करके या स्ंवय गायों तक भोजन पहुचाकर  पुण्य कमा सकते हैैै।    

              यदि व्यंजन पंसद न हो तो पहले से निकाल लेना चाहिये ,जूठा नहीं छोडना चाहिये। अन्न को देवता का दर्जा दिया गया है ,इसलिये अन्न को देवता का रूप समझकर ग्रहण करना चाहिये । मनुस्मृति में कहा गया है कि अन्न ब्रहृा है,रस विष्णु है और खाने वाला महेश्वर है। भोजन के समय प्रसन्नता पूर्वक भोजन की प्रशंसा करते हुये ,बिना झूठा छोडे हुये ग्रहण करना चाहिये । दूसरो के निवाले को हम नाली में बहा कर अन्न देवता का अपमान कर रहे है, जो रूचिकर लगे वही खाये ,पेट को कबाडखाना न बनाये । भोजन को समय पर ग्रहण करके भोजन का सम्मान करे ,मध्य रात्री को पशु भी नहीं खाता है । प्रत्येक स्टाॅल पर विरोधी स्वभाव के भोजन को स्वविवेक के अनुसार ग्रहण करना चाहिये ।।सब का स्वाद ले लू वाली प्रव्रृति का त्याग करे ।

           गाॅॅधी जी ने कहा है कि कम खाने -वाला ज्यादा जीता है,ज्यादा खाने वाला जल्दी मरता है।         


                                      श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत

रविवार, 23 अगस्त 2020

मन की शांति


मन की शांति 

आज मैं जीवन में जो पाना चाहती थी बैठे-बैठे उसकी लिस्ट बनाई इसमें अच्छा घर, स्वास्थ्य, सौंदर्य, समृद्धि, शक्ति, सुपथ, संबल, ऐश्वर्य, अच्छा पति, संस्कार वान बच्चे आदि कई चीजें थी। लेकिन फिर भी कही कुछ कमी रह गई हो ऐसा लगता।यह लिस्ट लेकर मैं अपने गुरु के पास गई मैंने पूछा क्या जीवन की सारी उपलब्धियां इस लिस्ट में है ।गुरु ने धीरे से मुस्कुरा  कहा बेटी वाकई अच्छी लिस्ट है लेकिन लिस्ट में एक चीज लिखना भूल गई हो जिसके  बिना बाकी सब चीजें व्यर्थ हो जाती है जिसका अनुभव उम्र के इस पड़ाव पर ही कर सकोगे। मैं  असमंजस्य में आ गई मैंने सोचा मैंने तो सारी चीजें जो एक नारी चाहती है लिस्ट में लिखिए तो फिर क्या छूट गया है गुरु ने लिस्ट को मुझ से लेकर सबसे अंत में 3 शब्द लिखें वह थे मन की शांति वास्तव में संसार की सभी चीजें इसके बिना व्यर्थ है ।जो अंतिम समय तक नहीं मिल पाती है।  

 

भुवनेश्वरी मालोत

शनिवार, 22 अगस्त 2020

अपने सपने


आज अमृता बहुत खुश थी ।जब अस्पताल में डाक्टर ने कहा कि तुम माॅ बनने वाली हो।वह सोच रही थी ,जब पति आॅफिस से आयेगेे तो यह समाचार सुनाउगी तो बहुत खुश होगे,लेकिन जैसे ही पति को यह समाचार सुनाया तो वह परेशान व दुःखी होगये और बोले ’’तुम माॅ बन गयी तो तुम्हें बच्चे के लिए नौकरी छोडनी पडेगी ,और नोैकरी छोडो गी तो ,अपने सपने कैसे पूरे होगे।बंगला, कार और अन्य सुविधाए का सपना तुम्हारी नौकरी के बिना केवल मेरी तनख्वाह से कैसे पूरा होगा।अभी तो हमारी उम्र ही क्या है ?बच्चे के बारे में कुछ साल बाद सोचेगे।पति के कहने पर अमृता ने गर्भपात करवा लिया और जो सपना था वह पूरा हो गया लेकिन एक बार गर्भपात करवाने के बाद अमृता कभी माॅ नहीं बन सकी।काश  मैं ..........

भुवनेश्वरी मालोत


शनिवार, 25 जुलाई 2020

हार में जीत छुपी हे

हार में जीत छुपी हे 


कामयाबी एक खूबसूरत एहसास है हर कोई सफलता चाहता है किसी को भी हार अच्छी नहीं लगती
लेकिन हार के पीछे ही जीत का  रहस्य छुपा  है| हार आपको खुद को सुधारना सिखाती है |असफलता
आपको संघर्ष करना सिखाती है यह आपको हकीकत से  रूबरू कराती है |यह आपको सच्चे दोस्तों
की पहचान करना सिखाती है यह आपके अंदर इससे बेहतर इंसान बनने की क्षमता विकसित करती
  हैं| हार के बाद ही आपको पता चलता है किआप उससे कई गुना बेहतर है और इससे अधिक करने
की क्षमता रखते हैं इसीलिए हार से डरो मत बल्कि एक नए जोश के साथ आगे बढ़े| इससे बेहतर
मौका आपका इंतजार कर रहा हे|

शनिवार, 18 जुलाई 2020

  चक्रासन मेरूदंड के विकारों में लाभकारी


पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोडिये और एडिया नितम्बों के समीप लगाकर दोनो हाथो को उल्टा करके कंधो के पीछे रखे और श्वास अन्दर भरकर कमर और छाती को उपर उठाइये।फिर हाथ व पैरो कोे पास लाने की कोशीश करते हुए शरीर की चक्र जैसी आकृति बनानी है।फिर धीरे धीरे शरीर को ढीला छोडते हुए कमर भूमि पर टिका दें । इस तरह 3से 4 बार करे। यह आसन कमर दर्द,श्वास संबधी रोग,सिर दर्द,सर्वाइकल व स्पोंडोलाईटिस में लाभकारी है व महिलाओं के गर्भाशय व मेरूदंड के विकारों को दूर करता है ।हमारी आंतो को सक्रिय करके हमारी हाथ पैरो की माॅस पेशियो को मजबूत करता है।

   प्रेषकः-
   भुवनेश्वरी मालोत
महिला पंतजलि योग समिति 
  बाॅसवाडा ( राज) 

गुरुवार, 16 जुलाई 2020

योग  भगाए,कोरोना रोग 

आज पूरा विश्व कोरोना संक्रामक वायरल रोग से लड़ रहा है |  इस  दावानल से हमारा जीवन खतरे में आ गया है इसके बचाव हेतु लॉकडाउन मुंह पर मास्क सोशल डिस्टेंसिंग हैंड वाशिंग सैनिटाइजर जेसे बचाव लिए जा रहे हैं |आप घर में  ही केद हैं | ऐसे में योग साधना  कोरोना के बचाव का एक माध्यम  हे यह उत्तम समय हे| जब आपके पास काफी समय है ऐसे में हम शरीर को तंदुरुस्त बनाकर योग शक्ति के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं” योग चितवृत्ति निरोध” योग से हमारी चित्तव्रतियों पर लगाम लगती है |मन में भोग  प्रवती कम होती है| जीवन में एकात्मता और एकरूपता आती है| महर्षि पतंजलि द्वारा बताए गए अष्टांग सूत्र - यम ,नियम, आसन, प्राणा
याम,  प्रत्याहार, धारणा , ध्यान और समाधि से जीवन में स्वस्थय, समृद्धि व आनंद की प्राप्ति होती है|

     आजकल आप प्रतिदिन सुबह शाम खाली पेट योगाभ्यास कर सकते हैं साथ में धीमी  मंद गति का भजन व संगीत भी चला सकते हैं| विभिन्न आसनों से आप शरीर को लचीला,स्फुर्तिवान  और छरहरा बना सकते हैं| सूर्य नमस्कार एक प्रभावी आसन  है जिससे पूरे शरीर में उर्जा  आ जाती  हे| योगीग जोगिंग से  भी शरीर में गर्मी उत्पन्न हो जाती हैं और शरीर ऊर्जावान बन जाता है|

  आसनों के साथ प्राणायाम भी करना चाहिए | प्राणायाम में श्वास के माध्यम से प्राणों का नियमन है| इस योगाभ्यास से फेफड़ों ,ह्रदय, मस्तिक एवं आंतरिक  अंगों को बल मिलता है| भस्त्रिका, कपालभाति ,अनुलोम विलोम ,बाह  प्राणायाम भ्रामरी, उदगीत,  उज्जाई  प्राणायाम  से शरीर का प्राण तत्व मजबूत होता है|  प्राणायाम एक सुपर ऑक्सीजनेशन प्रक्रिया है|एक चमत्कारिक साधना है जिसके अप्रत्याशित लाभ है| ध्यान योग साधना  की असली मजबूत कड़ी है आप शांत  हवादार कमरे में आसन लगाकर ध्यान कर सकते हैं विभिन्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए  ध्यान में विलीन हो सकते हैं|  आप ध्यान में सुदर्शन  क्रिया, ,सहजयोग,विपासना,सोहम ध्यान,ईशा क्रिया,इत्यादि कर सम्पूर्ण आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति ले सकते हैं|मेरा पूर्ण विश्वास है आज आपका पूरा दिन बहुत अच्छा निकलेगा |
                            योग के अतिरिक्त  इन दिनों प्रशिक्षण द्वारा   षटकर्म  क्रिया भी कर सकते हैं जिसमें जल नेती ,सूत्र नेती, कुंजल और शंख प्रक्षालन प्रमुख है| जो शरीर की आंतरिक शुद्धि करते हैं   जिससे डिटॉक्सिफिकेशन कहते हैं|
            आप इन दिनों कोरोना वायरस से बचने के लिए दिव्य औषधि के रूप में गिलोय, तुलसी, काली मिर्च, अदरक, हल्दी, नींबू, मुलहठी का  काढा  पी सकते हैं| हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी द्वारा बताएं गोल्डन मिल्क (हल्दी मिश्रित  दूध )का सेवन कर सकते हैं जिससे शरीर की (इम्यूनिटी) रोग प्रतिरोधक क्षमता   बढ़ेगी|
                  आइए इस समय  समय का सदुपयोग कर योग के माध्यम से कोरोना से लड़ने की दिव्य जीवन शक्ति को बढ़ाएं तथा जीवन को सुखद और आनंदमय बनाएं| 
                               आइए हम इस समय “करें योग, रहे निरोग” के सूत्र को  करें सार्थक करें|
                                                                                                 




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                                                                                               भुवनेश्वरी मालोत

                                                                                              बांसवाडा