सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

प्रथम पुण्य तिथि पर हार्दिक श्रृद्धाजंलि









एक साल पहले चली गयी माॅ

लेकिन याद बहुत आती है माॅ

आज भी आर्षीवाद देते हुए ,

हाथों का अहसास दिलाती है माॅ

एक साल पहले चली गयी माॅ,

पर अब तक लगता है,यही कही आसपास है माॅ,

जब मुसीबतों के बादल मडरायें मुझपर,

तेरा आॅचल पार कर आ न सके वो मेरे पास माॅ

एक साल पहले चली गयी माॅ

लेकिन आता नहीं याद कि,

मैं कितनी रोई,किसकी गोद सोई,

आज भी मेरी कोषिष जिसे मुष्किल समझ के छोड देती है,

उसे सुलझाने वहाॅ तक दौंड आती हो आप माॅ

आपकी लाडली बेटी

भुवनेष्वरीै

जिन्दगी एक ख्ुाली किताब है,लेकिन कुछ लोग इसे उल्टी पढ लेते है।वरना इस जिन्दगी की ख्ुाली किताब में साफ लिखा है कि‘‘कुछ समय की मेहनत ‘‘ जिन्दगी भर का सुख है और कुछ समय की मौज मस्ती जिन्दगी भर का दुख है।‘‘



BHUNESHWARI MALOT
MAHADEV COLONY
  BANSWARA(RAJ)
  327001













































































































































रविवार, 13 जनवरी 2013

जान ले सकती है पंतगबाजी






मकर संक्राति के शुरूआती दिनों एंवम छुटिृयों में बच्चे ही नहीं बडे-बुर्जग तक पंतगबाजी का मजा लेने छतों पर चढ जाते है तथा लापरवाही और पंतगबाजी के जोश में होश खोकर कई लोग जान तक गॅंवा बैठते है। यह त्योेहार कही आपको गमगीन नहीं बना दे इसका दायित्व सीधा आप पर जाता है। निम्न बिन्दुओं को ध्यान में लाकर आप अपने और बच्चों को सुरक्षित रख सकते हैै।

ऽ यदि बालक पंतग चढाने की जिद कर रहा है तो आपकी उपस्थिति में ही उसे छत पर जाने की अनुमति दे।पंतग काटने की जुद्त में जरा सी असावधानी से बालक मुंडेर और छत की दीवार पर चढकर अपना संतुलन खो बैठता है तथा सीधी छत से जमीन पर औंधे मुॅंह आ गिरता हैै। खेल-खेल में जान गंवाता है। या अस्पताल में रहकर अभिभावकों के लिए तकलीफ का कारण बन जाते है। पैसा तो इलाज में खर्च होता है। समय व धन की बर्बादी के साथ बालक ठीक होजाने पर अपाहिज व लकवाग्रस्त या मस्तिष्क विकृत से ग्रस्त जीवन भर रह सकता है।

ऽ असुरक्षित छतों पर बालक को न जाने दे,हो सके तो रास्ते में अवरोध रखे तथा छतों पर ताले जड दे ,आपकी उपस्थित में ही उसे छत पर रहने दे क्योंकि सौ दिन में से एक दिन बुरा हो सकता है।

ऽ बच्चे पतंग काट ने की जुद्त में वानरों की तरह एक छत से दूसरी छत पर कूदते है इससे कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है। शहरों की सडकों व गली कूचों में बिजली के तार खुले व मकान पास-पास सटे होते है। ऐसी स्थिति में पतंगो का बिजली के तारों में उलझ जाने पर बच्चे लकडी के बाॅंस या लोहे की छड से उसे निकालने का प्रयास करते है ऐसे में कटी पतंग बालक के जीवन को बिजली के आघत से काट सकती है।

ऽ पतंग की डोर पर काॅंच के बारिक टुकडे और चडस से हाथ छिल सकते है या लहुलुहान हो सकते है तथा एलर्जी से कान्टेक्ट डर्मेटाइटिस हो सकती है जो तकलीफ कारक है।

ऽ बच्चों में पतंग चढाने का जनून सवार हो जाता है इस जनून को पतंग-मेनिया कहे तो अतिशोक्ति नहीं होगी दिन भर बालक छत पर माॅं-बाप के बुलाने पर भी नीचे नहीं आते है,बच्चे अडियल किस्म के हो जाने पर घर का अनुशासन बिगडता है ऐसे में बच्चों पर सख्ती से पेश आना होगा ।

ऽ पतंग उद्योग बहुत बडा व्यवसाय बन गया है,ऐसे में आप बच्चों को जरूरत के मुताबिक पतंग व डोर खरीदने के पैसे दे अनावश्यक पैसे लुटाने पर नियत्रंण रखे।

ऽ पतंग कट जाने पर बच्चे सडकों पर ‘यह कटा ,वह कटा,वो काटा’ कहते हुए उसे लुटने के लिए अन्धाधुन्ध दौडते है। ऐसे में वाहन या किसी चीज से टकराने पर दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना रहती है। ऐसे में हमे डाॅंट-फटकार द्धारा ऐसी मानसिकता पर अंकुश लगाना होगा ।

ऽ पतंग उडाने की महिनों दर चलने वाली प्रकिया से बच्चों के शैक्षिक स्तर पर कुप्रभाव पडता है। अतः उन्हें अवकाश के दिन या सकं्राति के आसपास के दिनों तक इजाजत दे।

ऽ पतंग उडाने का अगर मजा लेना हो तो पार्क या खुले मैदानी क्षेत्र में उडाये जिससे दुर्घटना होने की शंका जरा नही रहेगी वरना जरा सी लापरवाही हुई नहीे की दुर्घटना घट सकती है।

आइये हम सब मिलकर बच्चों की मानसिक प्रवृति पर अंकुश लगाकर स्वस्थय परिपाटी के साथ में पतंग उत्सव को मनाये।


श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत
अस्पताल चैराहा महादेव कॅंालोनी
बाॅंसवाडा ,राज




मंगलवार, 1 जनवरी 2013

HAPPY NEW YEAR

डाॅ.हरीवंष राय बच्चन लिखते हैः-’’वर्ष नव,हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव,नव तंरग,जीवन का नव प्रंसग,नवल चाह,नवल राह,जीवन का नव प्रवाह,गीत नवल,प्रीति नवल ,जीवन की रीति नवल,जीवन की नीति नवल ,जीवन की जीत नवल।

सभी को नव वर्ष की हार्दिकष्षुभ कामनाए।नया साल नई उंमगो की सुबह लेकर आये। सभी को इंतजार रहता है नये साल का ,सभी अपने -अपने ढग से नये साल के स्वागत के लिए महफिले सजाते है।31 दिसम्बर की षाम को पार्टी का आयोजन करते है। केवल साल बदलने से या नये कंलैडर बदल जाने से या नये साल में एस एम एस करने  ,षुभ कामनाए देने भर से नया साल आ जायेगा अगर आपका यह मानना है तो ंगलत है। 31 दिसम्बर मनाने के बाद सोचते है कल सब नया हो जायगा पर ऐसा कैसे होसकता है आज हम कोई चीज खरीदते है दूसरे दिन वही चीज पुरानी की श्रेणी में आजाती है। नये साल आने से पहले कुछ संकल्प ले कुछ नयी तैयारी करे।ष्एक कवि महोदय ने कहा है कि ’’विगत वर्ष जो छोड गया कुछ कुटिल क्षणों की यादें ,नये साल के ष्षुभ संकल्पों से उन्हें मिटा दे ।

आइये नये साल में कुछ नये संकल्पों के साथ जीवन की ष्षुरूआत करें।रोते हुये को हॅसाने का संकल्प ले ,टूटे रिष्तों को जोडने का संकल्प ले ,किसी के अंधेरे जीवन में रोषनी देने का संकल्प ले स्वस्थरहने का संकल्प ले,खुष रहने और दूसरो को खुषी देने का संकल्प ले। यह सब तभी हो सकता है जब हम अपनी संकीर्ण स्वार्थ की परिधि से बाहर निकल कर दूसरो के लिए जीना सीख लेगे।तभी नया साल नयी खुषीया लेकर आयेगा।

महफिल तो गैर की हो पर बात हो हमारी
,
इंसानियत जहां में आकौत हो हमारी।

जीवन तू देने वाले ऐसी जिन्दगी दे,

आॅसू तो गैर के हों पर आॅख हो हमारी।ेे

                                                                        भुवनेष्वरी मालोत
                                                                        महादेव काॅलोनी
                                                                         ेबाॅसवाडा राज.

HAPPY NEW YEAR




डाॅ.हरीवंष राय बच्चन लिखते हैः-’’वर्ष नव,हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव,नव तंरग,जीवन का नव प्रंसग,नवल चाह,नवल राह,जीवन का नव प्रवाह,गीत नवल,प्रीति नवल ,जीवन की रीति नवल,जीवन की नीति नवल ,जीवन की जीत नवल।

सभी को नव वर्ष की हार्दिकष्षुभ कामनाए।नया साल नई उंमगो की सुबह लेकर आये। सभी को इंतजार रहता है नये साल का ,सभी अपने -अपने ढग से नये साल के स्वागत के लिए महफिले सजाते है।31 दिसम्बर की षाम को पार्टी का आयोजन करते है। केवल साल बदलने से या नये कंलैडर बदल जाने से या नये साल में एस एम एस करने ,षुभ कामनाए देने भर से नया साल आ जायेगा अगर आपका यह मानना है तो ंगलत है। 31 दिसम्बर मनाने के बाद सोचते है कल सब नया हो जायगा पर ऐसा कैसे होसकता है आज हम कोई चीज खरीदते है दूसरे दिन वही चीज पुरानी की श्रेणी में आजाती है। नये साल आने से पहले कुछ संकल्प ले कुछ नयी तैयारी करे।ष्एक कवि महोदय ने कहा है कि ’’विगत वर्ष जो छोड गया कुछ कुटिल क्षणों की यादें ,नये साल के ष्षुभ संकल्पों से उन्हें मिटा दे ।

आइये नये साल में कुछ नये संकल्पों के साथ जीवन की ष्षुरूआत करें।रोते हुये को हॅसाने का संकल्प ले ,टूटे रिष्तों को जोडने का संकल्प ले ,किसी के अंधेरे जीवन में रोषनी देने का संकल्प ले स्वस्थरहने का संकल्प ले,खुष रहने और दूसरो को खुषी देने का संकल्प ले। यह सब तभी हो सकता है जब हम अपनी संकीर्ण स्वार्थ की परिधि से बाहर निकल कर दूसरो के लिए जीना सीख लेगे।तभी नया साल नयी खुषीया लेकर आयेगा।

महफिल तो गैर की हो पर बात हो हमारी,

इंसानियत जहां में आकौत हो हमारी।

जीवन तू देने वाले ऐसी जिन्दगी दे,

आॅसू तो गैर के हों पर आॅख हो हमारी।ेे

भुवनेष्वरी मालोत

महादेव काॅलोनी

ेबाॅसवाडा राज.

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

डाॅ.हरीवंष राय बच्चन लिखते हैः-’’वर्ष नव,हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव,नव तंरग,जीवन का नव प्रंसग,नवल चाह,नवल राह,जीवन का नव प्रवाह,गीत नवल,प्रीति नवल ,जीवन की रीति नवल,जीवन की नीति नवल ,जीवन की जीत नवल।

सभी को नव वर्ष की हार्दिकष्षुभ कामनाए।नया साल नई उंमगो की सुबह लेकर आये। सभी को इंतजार रहता है नये साल का ,सभी अपने -अपने ढग से नये साल के स्वागत के लिए महफिले सजाते है।31 दिसम्बर की षाम को पार्टी का आयोजन करते है। केवल साल बदलने से या नये कंलैडर बदल जाने से या नये साल में एस एम एस करने  ,षुभ कामनाए देने भर से नया साल आ जायेगा अगर आपका यह मानना है तो ंगलत है। 31 दिसम्बर मनाने के बाद सोचते है कल सब नया हो जायगा पर ऐसा कैसे होसकता है आज हम कोई चीज खरीदते है दूसरे दिन वही चीज पुरानी की श्रेणी में आजाती है। नये साल आने से पहले कुछ संकल्प ले कुछ नयी तैयारी करे।ष्एक कवि महोदय ने कहा है कि ’’विगत वर्ष जो छोड गया कुछ कुटिल क्षणों की यादें ,नये साल के ष्षुभ संकल्पों से उन्हें मिटा दे ।

आइये नये साल में कुछ नये संकल्पों के साथ जीवन की ष्षुरूआत करें।रोते हुये को हॅसाने का संकल्प ले ,टूटे रिष्तों को जोडने का संकल्प ले ,किसी के अंधेरे जीवन में रोषनी देने का संकल्प ले स्वस्थरहने का संकल्प ले,खुष रहने और दूसरो को खुषी देने का संकल्प ले। यह सब तभी हो सकता है जब हम अपनी संकीर्ण स्वार्थ की परिधि से बाहर निकल कर दूसरो के लिए जीना सीख लेगे।तभी नया साल नयी खुषीया लेकर आयेगा।

महफिल तो गैर की हो पर बात हो हमारी
,
इंसानियत जहां में आकौत हो हमारी।

जीवन तू देने वाले ऐसी जिन्दगी दे,

आॅसू तो गैर के हों पर आॅख हो हमारी।ेे

                                                                        भुवनेष्वरी मालोत
                                                                        महादेव काॅलोनी
                                                                         ेबाॅसवाडा राज.