चक्रासन मेरूदंड के विकारों में लाभकारी
पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोडिये और एडिया नितम्बों के समीप लगाकर दोनो हाथो को उल्टा करके कंधो के पीछे रखे और ष्वास अन्दर भरकर कमर और छाती को उपर उठाइये।फिर हाथ व पैरो कोे पास लाने की कोषिष करते हुए षरीर की चक्र जैसी आकृति बनानी है।फिर धीरे धीरे ष्षरीर को ढीला छोडते हुए कमर भूमि पर टिका दें । इस तरह 3से 4 बार करे। यह आसन कमर दर्द,ष्वास संबधी रोग,सिर दर्द,सर्वाइकल व स्पोंडोलाईटिस में लाभकारी है व महिलाओं के गर्भाषय व मेरूदंड के विकारों को दूर करता है ।हमारी आंतो को सक्रिय करके हमारी हाथ पैरो की माॅस पेषियो को मजबूत करता है।
प्रेषकः-
भुवनेष्वरी मालोत
महिला पंतजलि योग समिति
बाॅसवाडा; राज
पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोडिये और एडिया नितम्बों के समीप लगाकर दोनो हाथो को उल्टा करके कंधो के पीछे रखे और ष्वास अन्दर भरकर कमर और छाती को उपर उठाइये।फिर हाथ व पैरो कोे पास लाने की कोषिष करते हुए षरीर की चक्र जैसी आकृति बनानी है।फिर धीरे धीरे ष्षरीर को ढीला छोडते हुए कमर भूमि पर टिका दें । इस तरह 3से 4 बार करे। यह आसन कमर दर्द,ष्वास संबधी रोग,सिर दर्द,सर्वाइकल व स्पोंडोलाईटिस में लाभकारी है व महिलाओं के गर्भाषय व मेरूदंड के विकारों को दूर करता है ।हमारी आंतो को सक्रिय करके हमारी हाथ पैरो की माॅस पेषियो को मजबूत करता है।
प्रेषकः-
भुवनेष्वरी मालोत
महिला पंतजलि योग समिति
बाॅसवाडा; राज
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें