शुक्रवार, 16 मार्च 2012

ऐलोवेरा स्वास्थ्य व सौदर्य का रक्षक है


aloe vera
                                                                    




          घी के समान तापच्छिल पीत मज्जा होने से इसे घृत कुमारी अथवा घीकुंआर कहा जाता है।एलोवेरा भारत में ग्वारपाटा या धृतकुमारी हरी सब्जी के नाम से जाना जाने वाला काॅटेदार पतियों वाला पौधा,जिसमें कई रोगों के निवारण के गुण कूट-कूट कर भरे हुए है।आयुर्वेद में इसे महाराजा और संजीवनी की संज्ञा दी गयी है।इसमें 18 धातु,15 एमीनो एसीड और 12 विटामिन होते है।यह खून की कमी को दूर करता है,षरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है,इसे त्वचा पर भी लगाना भी लाभदायक है ।इसे 3से4 चम्मच रस सुबह खाली पेट लेने से दिनभर षरीर में ष्षक्ति व चुस्ती-स्फूति बनी रहती है साथ ही यह जोडो की सूजन में व माॅस पेषियों को सक्रिय बनाये रखने के लिए सहायक है।

 जलने पर,अंग के कही से कटने पर,अदरूनी चोटो पर इसे लगाने से घाव जल्दी भर जाता है क्योंकि इसमें एंटी बैक्टेरिया और एंटी फॅगल के गुण होते है।मधुमेह आदि के इलाज में भी इसकी उपयोगिता साबित हो चुकी है क्योंकि एलोवेरा रक्त मे ष्षर्करा की मात्रा को भी नियत्रिंत करता है।बवासीर ,,गर्भाषय के रोग, पेट की खराबी,जोडो का दर्द, त्वचा का रूखापन,मुहाॅसे,धूप से झूलसी त्वचा,झुरियों चेहरे के दाग धब्बों,आॅखों के नीचे के काले घेरो, फटी एडियो के लिए लाभप्रद है। इसका गुदा या जैल बालों की जडो में लगाने से बाल काले घने लंबे एंव मजबूत होगेे।एलोवेरा के कण-कण मे सुंदर एंव स्वस्थ्य होने के राज छुपे है।इसे कम से कम जगह मे छोटे-छोटे गमलों में आसानी से उगाया जा सकता है।



स्वास्थ्य का महत्व हमें उसी समय ज्ञात होता है जब हम बीमार होते है इसलिए क्यों न हम एलोवेरा को दैनिक जीवन का अंग बना ले। यह संपूर्ण ष्षरीर का काया कल्प करता है बस जरूरत है सभी को अपनी रोजमर्रा की व्यस्तम् जिंदगी से थोडा सा समय अपने लिए चुराकर इसे अपनाने की।
 प्रेषकः-


भुवनेष्वरी मालोत


जिला संयोजिका


महिला पंतजलि योग समिति


बाॅसवाडा राज

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