मंगलवार, 1 जनवरी 2013

HAPPY NEW YEAR

डाॅ.हरीवंष राय बच्चन लिखते हैः-’’वर्ष नव,हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव,नव तंरग,जीवन का नव प्रंसग,नवल चाह,नवल राह,जीवन का नव प्रवाह,गीत नवल,प्रीति नवल ,जीवन की रीति नवल,जीवन की नीति नवल ,जीवन की जीत नवल।

सभी को नव वर्ष की हार्दिकष्षुभ कामनाए।नया साल नई उंमगो की सुबह लेकर आये। सभी को इंतजार रहता है नये साल का ,सभी अपने -अपने ढग से नये साल के स्वागत के लिए महफिले सजाते है।31 दिसम्बर की षाम को पार्टी का आयोजन करते है। केवल साल बदलने से या नये कंलैडर बदल जाने से या नये साल में एस एम एस करने  ,षुभ कामनाए देने भर से नया साल आ जायेगा अगर आपका यह मानना है तो ंगलत है। 31 दिसम्बर मनाने के बाद सोचते है कल सब नया हो जायगा पर ऐसा कैसे होसकता है आज हम कोई चीज खरीदते है दूसरे दिन वही चीज पुरानी की श्रेणी में आजाती है। नये साल आने से पहले कुछ संकल्प ले कुछ नयी तैयारी करे।ष्एक कवि महोदय ने कहा है कि ’’विगत वर्ष जो छोड गया कुछ कुटिल क्षणों की यादें ,नये साल के ष्षुभ संकल्पों से उन्हें मिटा दे ।

आइये नये साल में कुछ नये संकल्पों के साथ जीवन की ष्षुरूआत करें।रोते हुये को हॅसाने का संकल्प ले ,टूटे रिष्तों को जोडने का संकल्प ले ,किसी के अंधेरे जीवन में रोषनी देने का संकल्प ले स्वस्थरहने का संकल्प ले,खुष रहने और दूसरो को खुषी देने का संकल्प ले। यह सब तभी हो सकता है जब हम अपनी संकीर्ण स्वार्थ की परिधि से बाहर निकल कर दूसरो के लिए जीना सीख लेगे।तभी नया साल नयी खुषीया लेकर आयेगा।

महफिल तो गैर की हो पर बात हो हमारी
,
इंसानियत जहां में आकौत हो हमारी।

जीवन तू देने वाले ऐसी जिन्दगी दे,

आॅसू तो गैर के हों पर आॅख हो हमारी।ेे

                                                                        भुवनेष्वरी मालोत
                                                                        महादेव काॅलोनी
                                                                         ेबाॅसवाडा राज.

HAPPY NEW YEAR




डाॅ.हरीवंष राय बच्चन लिखते हैः-’’वर्ष नव,हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव,नव तंरग,जीवन का नव प्रंसग,नवल चाह,नवल राह,जीवन का नव प्रवाह,गीत नवल,प्रीति नवल ,जीवन की रीति नवल,जीवन की नीति नवल ,जीवन की जीत नवल।

सभी को नव वर्ष की हार्दिकष्षुभ कामनाए।नया साल नई उंमगो की सुबह लेकर आये। सभी को इंतजार रहता है नये साल का ,सभी अपने -अपने ढग से नये साल के स्वागत के लिए महफिले सजाते है।31 दिसम्बर की षाम को पार्टी का आयोजन करते है। केवल साल बदलने से या नये कंलैडर बदल जाने से या नये साल में एस एम एस करने ,षुभ कामनाए देने भर से नया साल आ जायेगा अगर आपका यह मानना है तो ंगलत है। 31 दिसम्बर मनाने के बाद सोचते है कल सब नया हो जायगा पर ऐसा कैसे होसकता है आज हम कोई चीज खरीदते है दूसरे दिन वही चीज पुरानी की श्रेणी में आजाती है। नये साल आने से पहले कुछ संकल्प ले कुछ नयी तैयारी करे।ष्एक कवि महोदय ने कहा है कि ’’विगत वर्ष जो छोड गया कुछ कुटिल क्षणों की यादें ,नये साल के ष्षुभ संकल्पों से उन्हें मिटा दे ।

आइये नये साल में कुछ नये संकल्पों के साथ जीवन की ष्षुरूआत करें।रोते हुये को हॅसाने का संकल्प ले ,टूटे रिष्तों को जोडने का संकल्प ले ,किसी के अंधेरे जीवन में रोषनी देने का संकल्प ले स्वस्थरहने का संकल्प ले,खुष रहने और दूसरो को खुषी देने का संकल्प ले। यह सब तभी हो सकता है जब हम अपनी संकीर्ण स्वार्थ की परिधि से बाहर निकल कर दूसरो के लिए जीना सीख लेगे।तभी नया साल नयी खुषीया लेकर आयेगा।

महफिल तो गैर की हो पर बात हो हमारी,

इंसानियत जहां में आकौत हो हमारी।

जीवन तू देने वाले ऐसी जिन्दगी दे,

आॅसू तो गैर के हों पर आॅख हो हमारी।ेे

भुवनेष्वरी मालोत

महादेव काॅलोनी

ेबाॅसवाडा राज.

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

डाॅ.हरीवंष राय बच्चन लिखते हैः-’’वर्ष नव,हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव,नव तंरग,जीवन का नव प्रंसग,नवल चाह,नवल राह,जीवन का नव प्रवाह,गीत नवल,प्रीति नवल ,जीवन की रीति नवल,जीवन की नीति नवल ,जीवन की जीत नवल।

सभी को नव वर्ष की हार्दिकष्षुभ कामनाए।नया साल नई उंमगो की सुबह लेकर आये। सभी को इंतजार रहता है नये साल का ,सभी अपने -अपने ढग से नये साल के स्वागत के लिए महफिले सजाते है।31 दिसम्बर की षाम को पार्टी का आयोजन करते है। केवल साल बदलने से या नये कंलैडर बदल जाने से या नये साल में एस एम एस करने  ,षुभ कामनाए देने भर से नया साल आ जायेगा अगर आपका यह मानना है तो ंगलत है। 31 दिसम्बर मनाने के बाद सोचते है कल सब नया हो जायगा पर ऐसा कैसे होसकता है आज हम कोई चीज खरीदते है दूसरे दिन वही चीज पुरानी की श्रेणी में आजाती है। नये साल आने से पहले कुछ संकल्प ले कुछ नयी तैयारी करे।ष्एक कवि महोदय ने कहा है कि ’’विगत वर्ष जो छोड गया कुछ कुटिल क्षणों की यादें ,नये साल के ष्षुभ संकल्पों से उन्हें मिटा दे ।

आइये नये साल में कुछ नये संकल्पों के साथ जीवन की ष्षुरूआत करें।रोते हुये को हॅसाने का संकल्प ले ,टूटे रिष्तों को जोडने का संकल्प ले ,किसी के अंधेरे जीवन में रोषनी देने का संकल्प ले स्वस्थरहने का संकल्प ले,खुष रहने और दूसरो को खुषी देने का संकल्प ले। यह सब तभी हो सकता है जब हम अपनी संकीर्ण स्वार्थ की परिधि से बाहर निकल कर दूसरो के लिए जीना सीख लेगे।तभी नया साल नयी खुषीया लेकर आयेगा।

महफिल तो गैर की हो पर बात हो हमारी
,
इंसानियत जहां में आकौत हो हमारी।

जीवन तू देने वाले ऐसी जिन्दगी दे,

आॅसू तो गैर के हों पर आॅख हो हमारी।ेे

                                                                        भुवनेष्वरी मालोत
                                                                        महादेव काॅलोनी
                                                                         ेबाॅसवाडा राज.

शनिवार, 29 दिसंबर 2012

हवन

                                             हवन

 पंतजलि महिला योग समिति ष्बाॅसवाडा द्धारा बलात्कार से पीडित छात्रा की आत्मा की त्रिभुवन में चिरषांति के लिए दयानंद आश्रम में हवन किया गया।ओम् षांति ,ओम् षांति।

मेरे खून से धरती को न करो लाल
रक्त की हर बॅूद बनेगी तुम्हारा काल,
खुदा नंे दी जिंदगी रहम करो ,
बेटियों के साथ दुराचार करने वालो
ष्षरम करो।
यंे धरती तुम्हें धिक्कार रही है...............
ष्षरम करो दंुराचारियो ं , षरम करो दंुराचारियो , षरम करो दंुराचारियो
                                 भुवनेष्वरी मालोत
                                  जिला संयोजिका
                                  पंतजलि महिला योग समिति            
                                  बाॅसवाडा राज.

सोमवार, 10 दिसंबर 2012

लक्ष्य पर नजर रखे

एक कहानी आपने सुनी होगी ,मेंढको मे उॅचे पहाड पर चढने के लिए एक दौड प्रतियोगिता रखी गयी ,जिसमें सभी मेंढक दौंडने लगे,चारों और से निराषा व हताषा भरी आवाजे आने लगी कि इन नन्हें मेढको ंके लिए इतनी उॅची चढाई चढना मुष्किल है,असंभव है,ये चढ ही नहीे सकते है,इन्हें दौडना नहीं चाहिये आदि।ऐसी निराषा भरी आवाज से कई मेढक बहोष होकर गिरने लगे,कई मेढको ने बीच में ही दौड रोक दी।लेकिन एक मेढक अपनी धुन में दौडे जा रहा था और उसने पहाड पर चढने में सफलता प्राप्त कर ली। सबको आष्चर्य हुआ यह कैसे संभव हुआ ।जब मेढक से उसकी सफलता का रहस्य पूछा तो मालूम पडा कि वह तो बहरा है उसने तो  निराषा भरी आवाजे सुनी ही नहीं ।वह तो अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे चढता गया,बढता गया और सफलता हासिल कर ली।इसलिये जीवन में हमेषा नकारात्मकता और हताष करने वाली बातों से दूर रहना चाहिये ,ये हमारे लक्ष्य में बाधा उत्पन्न करती है।इसलिए हमेषा अपने लक्ष्य पर ध्यान देते हुए अपना कार्य करते रहना चाहिये।कोई आलोचना करे तो उससे डरे नहीं ,न ही कोई प्रतिक्रिया करे ।प्रतिक्रिया दूसरो के लिये  छोड दे ।आलोचना करने वाला व्यक्ति आलोचना करते करते हुए स्ंवय अपने लक्ष्य को भूल जायेगा और उसका जीवन उदेष्यहीन हो जायेगा।आप अपने लक्ष्य पर दृषिट गढाये रखे ,आपको इसमे सफलता अवष्य मिलेगी।

  भुवनेष्वरी मालोत
 महादेव काॅलोनी
  बाॅसवाडा राज.      

रविवार, 18 नवंबर 2012

गोद भराई..................

हमारे जीवन में संस्कारो का व रीति रिवाजो परम्पराओं का बहुत महत्व हैं।गोद भराई वैवाहिक औरत के जीवन की महत्वपूर्ण घटना है,जो औरतो के द्धारा किया गया गर्भवती औरत के लिए एक बडा उत्सव है।गोद भराई एक हिन्दू संस्कार हैजो देष के अधिकांष भागों मे किया जाता है।बंगाल में यह षाद के रूप में जाना जाता है,केरल में सीमानंधन कहा जाता है,तमिलनाडू में अंसंांचचन हवकीइींतंप कहा जाता है इससे गर्भवती महिला को सांतवे व नंवमे महिने में जब बच्चा सुरक्षित अवस्था में माना जाता है तब भारतीय परम्परा के अनुसार नवजात के आगमन की खुषी में महिला की गोद भराई उपहारो फल,मिठाई,कपडे जैवर से भरी जाती है और आने वाले षिषु व मां की सुरक्षा का आर्षीवाद देते है।


समय और परिस्थितियों के अनुसार यह परम्पराए अच्छी थी।लेकिन आज समय बदल गया है और समय के साथ हमें भी बदलना होगा।कई परम्पराए हमारे विकास के मार्ग रोडा बनती है,समय व पैसो का अपव्यय होता है इसलिए संस्कार को संस्कार रहने देने में ही हमारी भलाई है।रूढि.वादी परम्पराओं का आज की जागरूक महिलाओं को विरोध करना चाहियंे।पेट फुलाकर बैंड-बाजे बजवाना लम्बे चैडे भोज का आयोजन कर कहाॅ की बुद्धिमता है,इन परम्पराओं को बोझ न बनने दे सादगी से निभाये,क्योंकि इन परम्पराओं को निभाने के चक्कर में कर्जा तक लेना पडता है,समाज क्या कहेगा के डर से सुसराल वाले परम्परा निभाकर कर्ज में डूब जाते है।परिवार में तनाव बढता है और व्यक्ति मन ही मन अपने आप को कोसता है।

आइये हम इस गोद भराई की रस्म में जननी स्वस्थ्य रहे व स्वस्थ्य संतान को जन्म दे सके एसे आर्षीवाद से गोद भरे इससे प्रसव के दोैरान न तो खून की कमी होगी और नहीं अन्य जटिलताओं का सामना जननी को व आने वाले बच्चे को करना पडेगा अन्यथा अस्वस्थ्य बच्चा परिवार के लिए हमेषा मुष्किले पैदा करता रहेगा।इसलिए गोद भराई रस्म में प्राथमिकता केवल माॅ व बच्चे के स्वास्थ्य की होनी चाहिये इसकी गोद भराई संस्कार आयरन एवम् फोलिक एसिड की गोलियों से करे,परिजन और रिष्तेदार फल एवम् प्रोटिनयुक्त खाद्य-पदार्थो को भेंट करे यही संस्कार असली गोद भराई संस्कार है जिससे जननी केा सभी तरह की विटामिन आयरन की समुचित मात्रा मिल सके ।हमारे देष की अधिकांष महिलाओ में रक्त की अल्पता है तथा हिमोग्लोबिन का स्तर 7से8 ग्राम ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है।जिसके फलस्वरूप जच्चा बच्चा दोनों का जीवन संकटमय हो सकता है।महिलाओं में प्रसवो उपरांत अत्यधिक खून बह जात है,कई बार हैमरेज से मौत हो जाती है।बच्चों मे गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी से अल्पमंदबुद्धि वाले षिषु का जन्म तथा फाॅलिक एसिड की कमी से न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट वाले षिषु का प्रसव होसकता है।ऐसे में गोद भराई संस्कार एक जननी एवम् षिषु सुरक्षा अभियान बने अतः सभी महिलाए आगे आकर इस संस्कार को सादगी से आगे बढाये।



भुवनेष्वरी मालोत

बाॅसवाडा राज.

सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

झूठी शान शौकत से दूर रहे

मैं अपनी सहेली के वहाॅं उसके पोते की जन्म-दिन पार्टी पर गई थी ।वह बडे उत्साह के साथ अपनी शान-शौकत का बखान कर रही थी और कह रही थी कि मेरा बेटा शासकिय सेवा में होने के कारण उपर की आमदनी अच्छी होती है,इसलिए मेरे बेटे ने बच्चों को सब सुख-सुविधा दे रखी है।मैं यह सोचने पर मजबूर हुई कि अनैतिक तरीके से अर्जित की गई कमाई से क्या बच्चों को अधिक से अधिेक सुविधा उपलब्ध करना अनिवार्य है।


ऐसे बच्चे अपने जीवन की विकट परिस्थितियों का सामना अच्छी तरह से नहीं कर पायगें और अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए भष्ट्र्र्र्र्र तरिको को अपनाने से भी नहीं चुकेगे।हर माता-पिता का कर्तव्य है कि बच्चों को जितनी आवश्यकता है उतनी सुविधा प्रदान कर।ताकि बच्चे हर परिस्थिति में अपने आपको संतुलित रख कर कार्यकर सके ।

श्रीमति भुवनेष्वरी मालोत

महादेव काॅलोनी

बाॅसवाडा