सोमवार, 31 दिसंबर 2012

डाॅ.हरीवंष राय बच्चन लिखते हैः-’’वर्ष नव,हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव,नव तंरग,जीवन का नव प्रंसग,नवल चाह,नवल राह,जीवन का नव प्रवाह,गीत नवल,प्रीति नवल ,जीवन की रीति नवल,जीवन की नीति नवल ,जीवन की जीत नवल।

सभी को नव वर्ष की हार्दिकष्षुभ कामनाए।नया साल नई उंमगो की सुबह लेकर आये। सभी को इंतजार रहता है नये साल का ,सभी अपने -अपने ढग से नये साल के स्वागत के लिए महफिले सजाते है।31 दिसम्बर की षाम को पार्टी का आयोजन करते है। केवल साल बदलने से या नये कंलैडर बदल जाने से या नये साल में एस एम एस करने  ,षुभ कामनाए देने भर से नया साल आ जायेगा अगर आपका यह मानना है तो ंगलत है। 31 दिसम्बर मनाने के बाद सोचते है कल सब नया हो जायगा पर ऐसा कैसे होसकता है आज हम कोई चीज खरीदते है दूसरे दिन वही चीज पुरानी की श्रेणी में आजाती है। नये साल आने से पहले कुछ संकल्प ले कुछ नयी तैयारी करे।ष्एक कवि महोदय ने कहा है कि ’’विगत वर्ष जो छोड गया कुछ कुटिल क्षणों की यादें ,नये साल के ष्षुभ संकल्पों से उन्हें मिटा दे ।

आइये नये साल में कुछ नये संकल्पों के साथ जीवन की ष्षुरूआत करें।रोते हुये को हॅसाने का संकल्प ले ,टूटे रिष्तों को जोडने का संकल्प ले ,किसी के अंधेरे जीवन में रोषनी देने का संकल्प ले स्वस्थरहने का संकल्प ले,खुष रहने और दूसरो को खुषी देने का संकल्प ले। यह सब तभी हो सकता है जब हम अपनी संकीर्ण स्वार्थ की परिधि से बाहर निकल कर दूसरो के लिए जीना सीख लेगे।तभी नया साल नयी खुषीया लेकर आयेगा।

महफिल तो गैर की हो पर बात हो हमारी
,
इंसानियत जहां में आकौत हो हमारी।

जीवन तू देने वाले ऐसी जिन्दगी दे,

आॅसू तो गैर के हों पर आॅख हो हमारी।ेे

                                                                        भुवनेष्वरी मालोत
                                                                        महादेव काॅलोनी
                                                                         ेबाॅसवाडा राज.

शनिवार, 29 दिसंबर 2012

हवन

                                             हवन

 पंतजलि महिला योग समिति ष्बाॅसवाडा द्धारा बलात्कार से पीडित छात्रा की आत्मा की त्रिभुवन में चिरषांति के लिए दयानंद आश्रम में हवन किया गया।ओम् षांति ,ओम् षांति।

मेरे खून से धरती को न करो लाल
रक्त की हर बॅूद बनेगी तुम्हारा काल,
खुदा नंे दी जिंदगी रहम करो ,
बेटियों के साथ दुराचार करने वालो
ष्षरम करो।
यंे धरती तुम्हें धिक्कार रही है...............
ष्षरम करो दंुराचारियो ं , षरम करो दंुराचारियो , षरम करो दंुराचारियो
                                 भुवनेष्वरी मालोत
                                  जिला संयोजिका
                                  पंतजलि महिला योग समिति            
                                  बाॅसवाडा राज.

सोमवार, 10 दिसंबर 2012

लक्ष्य पर नजर रखे

एक कहानी आपने सुनी होगी ,मेंढको मे उॅचे पहाड पर चढने के लिए एक दौड प्रतियोगिता रखी गयी ,जिसमें सभी मेंढक दौंडने लगे,चारों और से निराषा व हताषा भरी आवाजे आने लगी कि इन नन्हें मेढको ंके लिए इतनी उॅची चढाई चढना मुष्किल है,असंभव है,ये चढ ही नहीे सकते है,इन्हें दौडना नहीं चाहिये आदि।ऐसी निराषा भरी आवाज से कई मेढक बहोष होकर गिरने लगे,कई मेढको ने बीच में ही दौड रोक दी।लेकिन एक मेढक अपनी धुन में दौडे जा रहा था और उसने पहाड पर चढने में सफलता प्राप्त कर ली। सबको आष्चर्य हुआ यह कैसे संभव हुआ ।जब मेढक से उसकी सफलता का रहस्य पूछा तो मालूम पडा कि वह तो बहरा है उसने तो  निराषा भरी आवाजे सुनी ही नहीं ।वह तो अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे चढता गया,बढता गया और सफलता हासिल कर ली।इसलिये जीवन में हमेषा नकारात्मकता और हताष करने वाली बातों से दूर रहना चाहिये ,ये हमारे लक्ष्य में बाधा उत्पन्न करती है।इसलिए हमेषा अपने लक्ष्य पर ध्यान देते हुए अपना कार्य करते रहना चाहिये।कोई आलोचना करे तो उससे डरे नहीं ,न ही कोई प्रतिक्रिया करे ।प्रतिक्रिया दूसरो के लिये  छोड दे ।आलोचना करने वाला व्यक्ति आलोचना करते करते हुए स्ंवय अपने लक्ष्य को भूल जायेगा और उसका जीवन उदेष्यहीन हो जायेगा।आप अपने लक्ष्य पर दृषिट गढाये रखे ,आपको इसमे सफलता अवष्य मिलेगी।

  भुवनेष्वरी मालोत
 महादेव काॅलोनी
  बाॅसवाडा राज.