शुक्रवार, 11 जून 2021

 

शंख उद्घोष भी प्राणायाम है|

शंख में हमें प्रकृति से मिला एक अनमोल उपहार है यह समुंद्र से प्राप्त होता है  शंख की आकृति व पृथ्वी के  संरचना समान है इसका महत्व प्राचीन काल से धार्मिक कार्यों में पूजा में ज्योतिष में स्वास्थ्य संबंधी  परेशानियों को दूर करने में  वास्तु में होता है इससे सुंदर सुंदर उपयोगी व कलात्मक  चीजें बनाई जाती है |नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार शंख बजाने से खगोलीयऊर्जा का उत्सर्जन होता है जो जीवाणुओं  कानाशकर लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है शंख  प्रमुखतया  तीन प्रकार के होते हैं वामा वृत्तिदक्षिणावर्ती व् मध्यवर्ती|

धार्मिक कार्यों को करने से पहले शंख ध्वनि उत्पन्न करना हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण विशेषता है कहा जाता है कि इससे वातावरण की अशुद्धियां दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है वातावरण में चेतन्यता आती है और पूजा सार्थक होती है रज तत्व तम तत्व खत्म कर सत तत्व का  प्रवाह होता है विष्णु  पुराण के अनुसार शंख लक्ष्मी का सहोदर होता है समुंद्र मंथन पर 14  रत्ना प्राप्त हुए थे |आठवें स्थान पर शंखमिला था कहा जाता है कि जिस घर में शंख होता है वहा महालक्ष्मी का वास होता है सुबह शाम  शंख की ध्वनि करने से  वास्तु दोष दूर होता है घर में नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का  प्रवाह  होता हैतानसेन ने शंख बजाकर गायन की शक्ति प्राप्त की थीआधुनिक युग में जीवन की आपाधापी व भागदौड़ वाली जिंदगी में मनुष्य कई बीमारियों से ग्रसित हो गया है स्वस्थ होने के लिए उसे डॉक्टरों दवाइयों की शरण में आना पड़ता है यदि व्यक्ति स्वयं स्वस्थय रहना चाहता है तो शंखनादशंख ध्वनि करनाशंख बजाना ऐसी क्रियाएं जिससे अनेक प्रकार की  बीमारियों बचा जा सकता हैवैज्ञानिकों के अनुसार शंखनाद मैं प्रदूषण को दूर करने की अद्भुत क्षमता हैशंख की आवाज जहां तक जाती है वहां तक कई रोगों के किठाणु या तो खत्म हो जाते हैं या निष्क्रिय हो जाते हैं| शंख बजाना भी एक प्राणायाम है क्योंकि से बजाने से योग की कई क्रियाएं एक साथ हो जाती है कुंभक रेचक ध्यान  उज्जाई प्राणायामफेफड़ों को पूरी तरह से श्वास से भरकर व बिना सांस लिए गर्दन को उपर करके के शंख  बजाना चाहिए|   नेत्र बंदध्यानावस्था व ईश्वर भक्ति में निमग्न होकर शंख
बजाने से हमारी सुषुम्ना नाड़ी जागृत होती है हमें ईश्वर शक्ति का अप्रत्यक्ष साक्षात्कार होता है शरीर में शाश्वत ऊर्जा का संचार होता है|


शंख बजाने से कई चमत्कारिक स्वास्थ्य लाभ होते हैं अनेक रोगों से निवृत्ति होती  है|

1. फेफड़ों का  अच्छा व्यायाम है उसे बजाने से हमारे फेफड़े पुष्ट होते हैं अस्थमा दमा और एलर्ज छुटकारा मिलता है श्वास संबंधी बीमारियों से बच सकते हे

2. शंख ध्वनि हमारे दिमाग व स्नायु तंत्र को सक्रिय करते हैं|

3. मनोरोगी के लिए  शंख बजाना एक चमत्कारिक उपाय है क्योंकि इससे उत्तेजना कम होती है और मन और मस्तिष्क एकदम सहज व  शांत हो जाता है 

4. ह्दय रोगों में लाभकारी हे इससे ह्दय की  मांसपेशियां मजबूत होती है|

5. ब्लड प्रेशर का रामबाण इलाज  है|

6. शंखनाद  से स्मरण शक्ति बढ़ती है|

7. Vocal code सही होती है और thyroid से  छुटकारा मिलता है|

8. बच्चों का तुतलानाना शंख बजाने से दूर हो जाता है |इससे बच्चों को अनेको फायदे   हैं
 
शंख  बजाने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती|  प्राकृतिक  आभा स्वत दिखाइए देती है|


सावधानियां :-          

गर्भवती  व् स्तनपान कराने वाली माताओं को शंख नहीं बजाना चाहिए शंख बजाने से  नाभि पर प्रेशर  आने से गर्भ गिरने की संभावना रहती हैइससे दूध की मात्रा पर प्रभाव पड़ता हेआइए शंख वादन को दिनचर्या में शामिल कर जीवन को स्वस्थ व स्फुर्तिवान बनाएं
  

भुवनेश्वरी   मालोत

 बांसवाडा(राज.)

 

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

1.12.20 महावीर इंटरनेशनल माही वीरा केंद्र द्वारा अस्पताल चौराहे पर एड्स दिवस पर एड्स जागरूकता पोस्टर का विमोचन किया और राहगीरो को रेड रिबन लगाकर जागरूकता का संदेश दिया।
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बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

नवरात्री पर्व पर आओ हम संकल्प ले बेटी बचाने का

 🌹🙏🏻जय श्री कृष्णा🙏🏻🌹                                         

          


                           नवरात्री में नौ दिन मातृ शक्ति की पूजा की जाती है और देवी शक्ति के रूप में उसकी उपासना की जाती है। नारी जिसे करूणा की प्रतिमूर्ति मातृत्व की साकार प्रतिमा सृजन व धेर्य की देवी माना जाता है, वहाँ इसी नारी  शक्ति की भ्रूण में ही हत्या की जा रही है। दरिन्दगी का यह खेल सदियों से चला आ रहा है। पहले नवजात कन्या को नमक चटाकर या घर के पिछवाडे छोड़कर मौत के मुंह में सुला दिया जाता था। अब यह खेल कन्या भू्रण हत्या के रूप में जारी है। ऐसा करके हम पाप व अधर्म कर रहे है। कोई भी धर्म चाहे हिन्दु हो या मुस्लिम हो या सिख-इसाई हो कन्या की हत्या की इजाजत नहीं देता है। यदि हम कन्या भ्रूण हत्या करते रहे तो नवरात्री में पूजन के लिये कन्या कहाँ से लायेंगे, यह एक विचारणीय पहलू है।

 बेटे के जन्म पर खुशीयाँ मनाई जाती है क्योंकि बेटा ही बुढ़ापे का सहारा बनेगा। बेटा ही हमारे वंशको आगे बढ़ायेगा, लेकिन वे भूल जाते है कि अगर बेटिया ही नहीं होगी तो हमारा वंश आगे कैसे बढ़ेगा। हमारे मन में बेटी के जन्म लेते ही यह भाव गहरे बैठ जाता है कि बेटी तो पराई होती है उसको पढ़ाओं गृहस्थी के गुर सिखाओं, दहेज देकर सुसराल भेज दो ,इसलिए एक गरीब पिता के पैरो में दामाद ढूढ़ते ढूढ़ते छाले पड़ जाते है इसलिये उन्हे बेटी बोझ समान लगती है।

बेटा तो बाप का नाम रोशन करेगा, ऐसी कुठित मानसिकता ने कन्या भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध करने की मजबूर किया है। जबकि आज हम यह जानते हुए भी कि बेटे से अधिक सेवा बेटिया ही माता पिता की करती है और आज बेटिया स्वयं अपनी प्रतिभा व मेहनत के बल पर चारो दिशाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही है। फिर भी हम कन्या पैदा नहीं करना चाहते, हम झूठा आवरण ओढे़ हुए है भीतर कुछ, बाहर कुछ।

 यह भी एक विचारणीय पहलू है कि यदि हम कन्या भ्रूण की हत्या कर देगे तो इस समाज का, परिवार का, देश का रूप कैसा होगा ? जब इस पृथ्वी पर बेटिया ही नहीं रहेगी तो कहाँ से आयेगी आपके बेटे के लिये सुन्दर सुशील बहू। यदि आपके मन में बेटे की कामना है तो बहू की कामना भी होगी इसके लिये बेटियों को भ्रूण में ही बचाना होगा। उसको अच्छे संस्कार व शिक्षा देकर हमारे देश, समाज व परिवार के सुन्दर भविष्य की आधारशीला तैयार करनी होगी। ‘‘दूधो नहाओं, पूतो फलो’’ के आशीर्वाद को बदलना होगा यदि पूत ही पैदा होगे तो उसके लिये सुन्दर सुशील  बहू कहाँ से आयेगी ? कल्पना करे जिस समाज में पुरूष ही पुरूष होगे वह समाज कैसा होगा। धर्म, दया, प्रेम ममता सहयोग की भावनाऐं नारी के कारण समाज में जीवित है नारी नहीं तो कुछ नहीं ............

आओं हम सब बहने इस नवरात्री में कन्याओं का पूजन करके एक संकल्प ले कि हम कन्या भ्रूण हत्या या कन्या हत्या न करेंगे न ही करने देंगे, न ही इसमें भागीदार बनेगे। आपके द्वारा किया गया एक छोटा सा प्रयास आपके जीवन में नवीन ऊर्जा का संचार करेगा और आपके घर-परिवार की बगिया खुशियो के फूलों से महकती रहेगी।                                                                                      प्रेषक

                                                                           भुवनेश्वरी मालोत


बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

उपभोक्ता खरीदारी में कैसे बचे गड़बड़ी से


1.आवश्यकता के अनुरूप ही वस्तुएं क्रय करें, त्यौहार पर अनावश्यक मिठाई ,मावा  एवं खाद्य वस्तुएं ना खरीदें ।

2.भ्रामक विज्ञापनों से बचे, खरीद से पहले विज्ञापनों की सत्यता की जांच करें।

3.अनुचित व्यापारिक व्यवहार के प्रति सचेत रहें ।

4. विक्रय मूल्य केबल वस्तु पर छपे मूल्य के आधार पर न देकर पहले बाजार में कीमतों से तुलना करें।

5.  मिलावटी संभावना वाली वस्तुओं में विशेष   सतर्कता बरतें

 6 .डिब्बा व पैकिंग सामग्री का वजन  तोल में सम्मिलित ना होने दे ।

 7 .वस्तु को पैक करते समय तक स्वयं निगरानी रखें की कही कोई वस्तु बदल तो नहीं दी गई है ।

 8. गारंटी एंड वारंटी की शर्तों को चाहे वह कितनी ही बारिक क्यों न हो पूरा पढ़ें ।

9. डिब्बाबंद वस्तुओं की खरीद को प्राथमिकता दें ,खुली वस्तुएं कम से कम खरीदें ।

10. खरीदते वक्त वस्तुओं के लेवल पर लिखी सूचना, वजन निर्माता का नाम आदि अवश्य पढ़ें11. कम कीमत के लालच में जानबूझकर सड़ा गला या कटा फटा सामान ना खरीदें ।

12.सहकारी बाजार से वस्तुएं खरीदने को प्राथमिकता दें।

13. खरीदे गए सामान का बिल या कैश मेमो प्राप्त करें।

14. कैश मेमो पर पूरा विवरण, वस्तु का नाम, मार्का, बेच नंबर अंकित करावे।

15.गारंटी या वारंटी कार्ड पर विक्रेता की सील पर हस्ताक्षर करावे ।

16 .वस्तु की बिक्री सेवा शर्तों की भी जांच करें।

17.यथासंभव रास्ते चलते या घर- घर पर फेरी लगाकर बेचने वाले लोगों से कीमती वस्तुएं ना खरीदें।

18. माल या सेवाओं की क्वालिटी ,मात्रा, शुद्धता आदि के बारे में खुलकर पूछताछ करें।

       भुवनेश्वरी मालोत 

        बाँसवाडा

मंगलवार, 22 सितंबर 2020

कुसंस्कारो का प्रभाव

                                                                                                                                             

                                    एक फोटोग्राफर के मन में विचार आया कि अपने स्टूडियो मे ंएक सुन्दर व सुसंस्कृत बालक का फोटो लगाये। इसके लिए जगह-जगह घूमने के बाद उसको एक गांव में दस वर्षीय बालक सर्वाधिक सुन्दर लगा।उसने उसके माता -पिता की अनुमति से उसका फाटो लिया और  स्टूडियो में लगा दिया ।20 साल बाद उसके मन मे सबसे कुरूप व्यक्ति का फोटो भी स्टूडियो में लगाने का विचार आया।

          इसके लिये जेलों में जाकर अपराधियो से मिला जो लम्बा कारावास भुगत रहे थे । वहा उसे ऐसा  व्यक्ति मिला जिसके चारो और मक्खिया भिनभिना रही थी और शरीर से बदबू आ रही थी,दिखने में अत्यतं बुढा व कुरूप लग रहा था।उसने सोचा इससे ज्यादा कुरूप व्यक्ति और कोई नही हो सकता ।वह फोटो लेने लगा तो,वह व्यक्ति रो पडा।रोने का कारण पूछा तो वह बोला जब मैं दस वर्ष का बालक था,तब भी एक फोटोग्राफर  ने फोटो लिया था क्योंकि मेैं उस समय उसको सबसे सून्दर व सुसंस्कृत लगा था।किन्तु बाद में  कुसंस्कारों व कुसंगति के प्रभाव से गलत रास्ता पगड लिया और मेरे में कई दुर्गण आगये।जिससे झगडा,चोरी आदि करने लगा और समाज मे भी घृणा की दृष्टि से देखा जाने लगा और इसी कारणआज मेैं यहां इस स्थिति मे पहुच गया हु।यह मेरे कुसंगति व कुसंस्कारो का ही परिणाम है। फोटोग्राफर बिना फोटो लिये ही वापस चला गया।

         इससे पता चलता है कि वातावरण व संगति से व्यक्ति के संस्कार प्रभावित हुए बिना नहीे रह सकते।सुसंस्कारित बालक ही बडा होकर सफल होता है।पारिवारिक जीवन मे स्नेहपूर्ण वातावरण वनाता है,राष्ट् के विकास मे सहायक होता है अतः बच्चोे को सुसंस्काति करने का प्रयत्न करना चाहिये ।




                                           श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत

बुधवार, 16 सितंबर 2020

ताली बजाना -एक योग क्रिया है


ताली बजाईये और रोगो को दूर भगाईये ।यह एक पुरानी कहावत है। आज हम भौतिक सुख सुविधाओ के जाल मे ंइस तरह से फॅसे हुए हैकि हमारा शरीर अनेक प्रकार के रोगो से ग्रस्त होेता जा रहा है।यह सोचने वाली बात हैकि हम सही अंर्थो में स्वस्थ क्यों नहीं रह पा रहे है।क्या हमने शारीरिक श्रम त्याग दिया है?क्या इसके लिए हमारा आहार जिम्मेदार है?काफी हद तक इसके लिए कई कारक जिम्मेदार है जिसमे मुख्य है-अधिक आराम,श्रम का अभाव,बिना विचारे अधिक मात्रा मे अखाद्य पदार्थो का सेवन आदि।

हम ताली बजाकर भी स्वस्थ रह सकते है।प्राचीन काल मे मंदिरो में आरती व संत्सग में सामूहिक ताली बजाया  करते थे।यह शरीर को स्वस्थ रखने का उत्कृषट साधन है।

ताली बजाने से एक अच्छा व्यायाम हो जाता है इससे हमारे शरीर की निष्षक्रियता  समाप्त होकर क्रियाशीलता की वृद्धि होती है।रक्त संचार की रूकावट  दूर होने से हृदय रोग की संभावना कम रहती है।फेफडों की बीमारी दूर होती हैं

शरीर मे चुस्ती फुर्ती तथा ताजगी आ जाती है।इससे हमारे शरीर की रोग -प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ जाती है,इससे हमारे हाथों के सभी एक्यूप्रेशर पाॅइट पर अच्छा दबाब पडता है।शरीर  निरोग होने लगता है।

जाने माने स्वास्थ्य चिंतक सम्मानिय अरूण ऋषि के अनुसार 100 ताली बजाइये और स्वस्थ रहिये  की अलख पूरे भारत में जगाये हुए है।उनको साधुवाद।

    आइये ताली बजाइये और निरोग रहिये।

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

निःस्वार्थ हो भलाई

                               याकूब फ्लेमिंग नाम का एक किसान स्कॉटलैंड में अपने खेत में काम कर रहा था कि अचानक उसने सहायता के लिए पुकारती एक आवाज सुनी। उसने पास जाकर देखा तो एक छोटा बच्चा कीचड़ में गहरे फंसा हुआ है किसान ने बड़ी मेहनत करके उसे निकाला और फिर अपने काम में जुड़ गया। दूसरे दिन एक अमीर आदमी उसकी झोपड़ी में आया और बोला तुमने मेरे बेटे की जान बचाई है मैं तुम्हें इनाम देना चाहता हूं। किसान ने इनाम लेने से इंकार कर दिया और कहा यह तो मेरा कर्तव्य है तब उस अमीर व्यक्ति ने किसान के पास खड़े उसके फटे हाल बच्चे को देखा और कहा इसकी शिक्षा की जिम्मेदारी मैं उठाता हूं तुम उसे मुझे सौप दो।

         कई वर्षों बाद वही बालक पेनिसिलिन का अविष्कारक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक एलेग्जेंडर फ्लेमिंग बना। कुछ समय बाद उस अमीर आदमी का बेटा निमोनिया का  शिकार हो गया इसकी जान उसी पेनिसिलिन की वजह से बची। उस आदमी का नाम था लॉर्ड रेन्डोल्फ  और उसके बेटे का नाम विंस्टन   चर्चिल था।

 यह  सही बात है कि जैसा तुम देते हो वैसा ही तुम्हें वापस मिलता है। थोड़ा वक्त जरूर लगता है पर प्रकृति अपने पास कुछ भी नहीं रखती वह आपको कभी खाली हाथ नहीं रहने देगी आपकी अच्छाई वापस लौटकर आपके पास जरूर आएगी ।

आइए हम भी अपने लिए ना सिर्फ दुआ करें बल्कि इसे अपने जीवन का आदर्श बना ले की नेकी किसी फल के लिए नहीं बल्कि आंतरिक खुशी के लिए करेंगे ।

 भुवनेश्वरी मालोत

बांसवाडा